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अइली भदउवा केरी राति, सघन घन…
अइली भदउवा केरी राति, सघन घन…

अइली भदउवा केरी राति, सघन घन घेरि रहे।बाबू चढ़लीं रयनि अधिराति, फिरंगी दल काँपि रहे।।नभवा से गिरे झरि-झरि…

लूट लेलस सोनवाँ के साँझ /…
लूट लेलस सोनवाँ के साँझ /…

लउकता पहाड़ जइसे सूतल हो इअदिया।आन्हर अजगर अस दिसो गुमसम बिआ।।धुँआ में सनाइल आदित थोरिके ऊपरवाँ।छीजत आवे नीचे…

दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह ‘नाथ’ - भोजपुरी मंथन