अइली भदउवा केरी राति, सघन घन घेरि रहे।बाबू चढ़लीं रयनि अधिराति, फिरंगी दल काँपि रहे।।नभवा से गिरे झरि-झरि…
लउकता पहाड़ जइसे सूतल हो इअदिया।आन्हर अजगर अस दिसो गुमसम बिआ।।धुँआ में सनाइल आदित थोरिके ऊपरवाँ।छीजत आवे नीचे…