गुनगुनात रहलऽ जिनिगी भरअबो कवनो गीत सुनातऽ।मंजूषा में बन्द ओजमयकविता के घूँघट सरकावऽ॥पड़े मर्म पर चोट, व्यक्तिआहत होके…
अब त एह संसार में, अइसन बहे बतास।खुश नइखे लउकत केहू, दुनिए भइल हतास ॥1॥ दुनिया के अब…