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सुराज (एक) / जगदीश ओझा ‘सुन्दर’
सुराज (एक) / जगदीश ओझा ‘सुन्दर’

सगरी बिपतिया के गाड़ भइलि जिनिगी।नदी भइल नैना पहाड़ भइलि जिनिगी। आग जरे मनवा मेंधधकेले सँसियाअसरा में धुआँ…

ना जाने जे अँखिया में केतना…
ना जाने जे अँखिया में केतना…

ना जाने जे अँखिया में केतना ले लोर बा।। प्यारी-प्यादी अँखिया में कारी-कारी पुतरीपलक का खोंता जइसे झाँकेली…

जगदीश ओझा ‘सुन्दर’ - भोजपुरी मंथन