फन कढ़ले पुरवइया डोले फागुन साँप भइल।छनके लागल प्रान कि उलटा साँस भइल।।गाँव-नगरिया बाग-बगइचा सगरो लहर समाइल,ओठवा से…
सब फूल काहे गाँव के अतिना उदास बा,अब चढ़ सकी न माथ पर कहवाँ सँवास बा।बस लुस-फुसा के…