फागुन फाग बुलाई दिहले, अंग-अंग फुलाई दिहले हे।मइया ओढ़ि के वासंती चुनरिया, नगरिया हरसाई गइले हे।।चइत चनरमा चिढ़ाई…
केहू-केहू का होखे राम नाम के चरचाकहीं-कहीं चढ़ल बाटे घरे-घरे घरे-चरचा, केहू-केहू का, जोड़ाता रात-दिन के खरचा।घोंसरिये में…