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इहे बाबू भइया / आचार्य महेन्द्र शास्त्री

इहे बाबू भइया / आचार्य महेन्द्र शास्त्री

कमइया हमार चाट जाता, इहे बाबू भइया। जेकरा आगा जोंको फीका, अइसन ई कसइयादूहल जाता खूनो जेकर, अ इसन हमनी गइया॥ अंडा-बाचा, मरद मेहर दिन-दिन भर खटैयातेहू पर ना पेट भरे, चूस लेता चइँया॥ एकरा बाटे गद्दा-गद्दी, हमनी का चटइयाएकरा…

इनरा मरि गइल / केशव मोहन पाण्डेय

इनरा मरि गइल / केशव मोहन पाण्डेय

कहीं होत होई नादानीबाकिरहमरा गाँवे तऽइनरा के पानीसभे पीयेसबके असरा पुरावे इनरातबो मरि गइलईऽ परमार्थ के पुरस्कारकाऽ भइल?समय के साथेलोग हुँसियार हो गइलइनरा के पानीबेमारी के घर…

आस सगरी गरीबन कऽ थाती हवे/ डॉ॰ कमलेश राय

आस सगरी गरीबन कऽ थाती हवे/ डॉ॰ कमलेश राय

ByadminOct 4, 20241 min read

जइसे पपिहा कऽ जिनगी सेवाती हवेआस सगरी गरीबन कऽ थाती हवे ।जवना दियना में तेलवा ओराइल रहेजरि – जरि के बरे अइसन बाती हवे । चोट खा-खाके…

आव ई त घर आपन बा, का दुआरे खड़ा…

आव ई त घर आपन बा, का दुआरे खड़ा…

आव ई त घर आपन बा, का दुआरे खड़ा हो सँकोचत बाट।का घर के सुध आवतिआ, खम्हिया से खड़ा होके सोचत बाट।।मान जा बात हमार कन्हैया, चल…

आरोही पचीसा / चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’

आरोही पचीसा / चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’

ByadminSep 20, 20242 min read

अनजाना राही कहे, गलत के राह।बुद्धिमान सम्मान के, करे कबो ना चाह ॥1॥अनभल केहू के कइल, अपने पथ के कांट।आरोही जीवन बदे, जीवन के सुख बांट ॥2॥अनुशासन…

आमवा से अमरित टपके/ ओमप्रकाश अमृतांशु

आमवा से अमरित टपके/ ओमप्रकाश अमृतांशु

ByadminOct 7, 20241 min read

आमवा से अमरित टपके ,चह-चह चहके चिरइयाँ.महुआ सुगंध में मातल,कुकू -कुकू कुकेले कोइलिया .कि आरे काऊँ- काऊँ करेला रे कागावाछप्परवा पे बिरहा गवाइल. adminbhojpurimanthan.com/

आधी-आधी रात रतिया के / महेन्द्र मिश्र

आधी-आधी रात रतिया के / महेन्द्र मिश्र

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा अँखिया के रे निनिया से बैरनिया भइली ना।पिया कलकतिया घरे भेजे नहीं पतियासे सवतिया भइली नाकुहु-कुहु कुहुके…

आदमी से आदमी अझुराइल बा / प्रभुनाथ सिंह

आदमी से आदमी अझुराइल बा / प्रभुनाथ सिंह

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत बेमउआर आज के दिन।सभका मगज में भँग घोराइल बा॥नाता-रिस्ता जड़ से टूट रहल बा॥जे जहाँ बा ऊहें…

आदमी आदमी के खाई तनिको ना सकुचाई/ विमल कुमार

आदमी आदमी के खाई तनिको ना सकुचाई/ विमल कुमार

ByadminSep 24, 20241 min read

मनई के देहि छोट होखेलाद बढ़ल खुब जाता,खा गइले सभ चिरई चुरूंगबिरिछो कइले नपाता।बदरी के बुढ़ारी आईलउठल बइठल न जाये,सुरूज आग उगिला तारेपानियो छटपटाये,धरती के तन झुरा झुरा केफाट…

आजु मोरी घरनी/ बिसराम

आजु मोरी घरनी/ बिसराम

ByadminSep 27, 20241 min read

आजु मोरी घरनी निकरली मोरे घर से,मोरा फाटि गइले आल्हर करेज। राम नाम सत सुनि मैं गइलों बउराई,कवन रछसवा गइल रानी के हो खाई। सुखि गइलें आंसु…

कविता/ गीत / गज़ल - भोजपुरी मंथन - Page 27