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अधिगत जागल हो सजनी – संत गुलाल साहब

अधिगत जागल हो सजनी – संत गुलाल साहब

Byगुलाल साहबSep 27, 20241 min read

अधिगत जागल हो सजनी। खोजत-खोजत सतगुरु पावलताहि चरनवाँ चितवा लागल हो सजनी॥ साँझि समय उठि दीपक बारलकरमवा मनुबाँ पागल हो सजनी॥ चललि उबटि बाट, छुटलि दकल घाटगरजि गगनवा अनहद बाजल हो सजनी॥ गइली अनँदपुर भइली अगम सूरजितली मैदनवाँ नेजवा गाड़ल…

अँजोरिया में घेरले बा बदरी – रामपति रसिया

अँजोरिया में घेरले बा बदरी – रामपति रसिया

ByadminSep 27, 20241 min read

बीति गइल रतिया अन्हरिया, अँजोरिया में घेरले बा बदरीघेरले बा बदरी, घेरले बा बदरी।बीति गइल रतिया अन्हरिया, अँजोरिया में घेरले बा बदरी॥ आवे का पहिले बिचार सभे…

अँखिया से बहे झर झर लोर/ विमल कुमार

अँखिया से बहे झर झर लोर/ विमल कुमार

ByadminSep 24, 20241 min read

छोट फुदगुदी खेले अँतरा,का जाने का होखे खतरा,बाझ नोचलस ओकर ठोरअँखिया से…….. पाँखि ध फेरु बाहर खिचलस,बहसी बन के फिर तन चिखलस,गाँव शहर में मचल पुरा शोरअँखिया से………. देह…

अकेले / आचार्य महेन्द्र शास्त्री

अकेले / आचार्य महेन्द्र शास्त्री

छोड़-छोड़ आसा अकेले नाव खोल रे।ऊ खूब नीमन गइला पर जननी लगेला सुहावन सुदूर वाला ढोल रे-अब-तक उनकर मुँह हम जोहनीनिमने भइल कि खुल गइल पोल रे-काम…

अकाल – जितराम पाठक

अकाल – जितराम पाठक

Byजितराम पाठकSep 26, 20241 min read

खेत के मुआर छिलातिया जइसे छुरा सेकपार के बार छिलाला,पइनि-अहरा-नहरनेता लोग के बात लेखाखाली बाअकाल के उदन्त भँइसाचरि गइल फसल,किसान हाथ भींजता,अब बेटी के गवना के नियारफेरे…

अइसन करनी/ अभयकृष्ण त्रिपाठी

अइसन करनी/ अभयकृष्ण त्रिपाठी

ByadminOct 7, 20241 min read

अइसन करनी केकर होखी बहुत विचरलीं,आइना देखवते जानवर ना इन्सान के पईलीं ई हम कुछुओ लेके ना जाएब ई सबही गावत बा,आपन जेब भरे खातिर दुसर जेब…

अइले बसन्त/ बिसराम

अइले बसन्त/ बिसराम

ByadminSep 27, 20241 min read

अइले बसन्त महँकी फइललि बाय दिगन्त,भइया धीरे-धीरे बहेली बयारि। फुलैले गुलाब, फुलै उजरी बेइलिया,अमवाँ के डरियन पर बोलैली कोइलिया।बोलैले पपीहा मदमस्त आपन बोलिया,महँकि लुटावैं आप ले बउरे…

“नून” भोजपुरी कविता/ उदय शंकर

“नून” भोजपुरी कविता/ उदय शंकर

ByadminSep 24, 20242 min read

इक दिन बहुत हाहाकार मचलभात ,दाल ,तरकारी में।काहे भैया नून रूठल बाबैठक भईल थारी में। दाल- तरकारी गुहार लगईलकनून के बैठ गोर थारी मेंतरकारी कहलक सांस छूटतादाल…

“दरद” भोजपुरी कविता/उदय शंकर

“दरद” भोजपुरी कविता/उदय शंकर

ByadminSep 24, 20241 min read

बहूत डरावना भयानक रातदेखनी हइ जब ओके आजअसपताल के एगो कोना मेचिखत रहे लेके धिरे धिरे सास दरद पिडा के रहे समूंदरहर पल उठत रहे ओकरा अंदरदेख…

“पागल”/ उदय शंकर प्रसाद

“पागल”/ उदय शंकर प्रसाद

ByadminSep 30, 20241 min read

दरद के आग बा ओके दिल में,रोये ला दिन रातदेख देख के लोग कहेला,पागल जाता बडबडात रहे उ सिधा साधा,माने सब बातलूट लेलक दुनिया ओके,कह के आपन…

कविता/ गीत / गज़ल - भोजपुरी मंथन - Page 30