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चुनलीं त फूल काँट के बटीर आ गइल /…

चुनलीं त फूल काँट के बटीर आ गइल /…

चुनलीं त फूल काँट के बटीर आ गइलजब-जब हँसे के चहलीं तबे लोर आ गइल देखले रहीं अन्हार से पहिले के अँजोराबुझलीं कि रात बीत गइल भोर आ गइल दोसरा के जरावेला जे धीरे बहल हवाहमरा के बुतावेला, उहे जोर…

चीन्हे के परेला/विजय मिश्र 

चीन्हे के परेला/विजय मिश्र 

ByadminOct 4, 20241 min read

मुरुगा का बोलले सबेर ना होला ।कोरा के कुकुर से अहेर ना होला ।।अदिमी बेलूर के बोझ हो जालाघर सम्हारे वाला सोझ हो जालाअड़ बड़ पS विगरे…

चिट्ठी / अशोक द्विवेदी

चिट्ठी / अशोक द्विवेदी

हम तोहके कइसे लिखीं?कइसे लिखीं किबहुते खुश बानी इहाँ हमहोके बिलग तोहन लोग से… हर घड़ी छेदत-बीन्हत रहेलाइहवों हमके गाँवइयाद परावत रहेला हर घड़ीओइजा के बेबस छछनत…

चलत-चलत मोरा पईया पिरइले / महेन्द्र मिश्र

चलत-चलत मोरा पईया पिरइले / महेन्द्र मिश्र

चलत-चलत मोरा पईया पिरइले, ए ननदिया मोरी रेतबहूं ना मिलेला उदेश, ए ननदिया मोरी रे।अपने न अइलें पिया भेजलें ना सनेसवा, ए ननदिया मोरी रे।भेज देले डोलिया…

चलत-चलत मोरा पईया पिरइले / महेन्द्र मिश्र

चलत-चलत मोरा पईया पिरइले / महेन्द्र मिश्र

ByadminApr 4, 20251 min read

चलत-चलत मोरा पईया पिरइले, ए ननदिया मोरी रेतबहूं ना मिलेला उदेश, ए ननदिया मोरी रे।अपने न अइलें पिया भेजलें ना सनेसवा, ए ननदिया मोरी रे।भेज देले डोलिया…

चलत बा चले दीं/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

चलत बा चले दीं/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

ByadminSep 30, 20241 min read

भीती पर केहू के टाँकी मराइलएक सुन्न सुन्ना में अउरो जोराइल मिरगा कहीं सोना कजादू क टोना कआँखी पर रूप चढ़लछँउकत सलोना क गोड़न के मकड़जालरहियो हेराइल…

चल चल रे मनवाँ गाँवे चलप्रेम के दउँरी दाँवे…

चल चल रे मनवाँ गाँवे चलप्रेम के दउँरी दाँवे…

ByadminOct 1, 20241 min read

जवना खातिर शहर धइले,ओकरे चलते जहर खइले !जिनिगी मिलल ना मउअते मिलल,कुछ त पावे गाँवे चल !!चल चल….. कगवा उचारत अबहूँ होई,घरवा में तिरीया कबले रोई !भरल…

चम्पारन के देखीं हाल / पं. चतुर्भुज मिश्र

चम्पारन के देखीं हाल / पं. चतुर्भुज मिश्र

ByadminSep 20, 20241 min read

चम्पारन के देखीं हाल ।मन-चित लाई सुनी हवाल ॥सोमेश्वर के ई धरती हऽ परम पूज मनभावनचम्पा के जगल के कारण नाम परल चम्पारणपश्चिम दक्खिन बहे गंडकी उत्तर…

चना / निलय उपाध्याय

चना / निलय उपाध्याय

बनिया-बोरा के छल्ली लगाई आइन्तजार करीकि बढ़ि जाय चना के भाव।भड़भूँजा भूँजीआ बड़बड़ाई-चना के छपन सवाद।आदमी जइसनमुकमिल दुनिया होले चना केजे महसूस करी, ले आईखेत मेंठीक नाक…

चइत दुआरे ठाढ़ – दिनेश पाण्डेय

चइत दुआरे ठाढ़ – दिनेश पाण्डेय

ByadminSep 26, 20241 min read

फगुआ के अनवाध में, चइत दुआरे ठाढ़।ललकी किरिन परात के, तकलसि घूघा काढ़। मादक महुआ गंध में, डूबल बनी समूल।हवा कटखनी बिन रहल, मउनी भरि-भरि फूल। चइता…

कविता/ गीत / गज़ल - भोजपुरी मंथन - Page 20