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सईंया सूतल होइहे जा के बथानी पर/ दुर्गा चरण…

सईंया सूतल होइहे जा के बथानी पर/ दुर्गा चरण…

ByadminOct 7, 20241 min read

सईंया सूतल होइहे जा के बथानी परमकई में मचानी पर ना…. कइले होइहे सानी-पानी, कोड़ले होइहे कोन-कानसांझे चौराहा जा के, खइले होइहे मीठा पान.दिनभर रहल होइहे चीनी अउरी पानी परमकई में मचानी पर ना ….. झिहिर झिहर सखी बहे पुरवइया,रात…

शराब/ हीरा प्रसाद ठाकुर

शराब/ हीरा प्रसाद ठाकुर

ByadminOct 1, 20241 min read

पीके शराब संइया भइल खराबपंईया केतना परींअतना समुझवनी तोहरा कइलस जुलाबपंईया केतना परीं । अतना –बाबू के थाती बेचिके भइलऽ नबाबपंईया केतना परींसोना अस बुतुरू के तू…

शरद / कमला प्रसाद मिश्र ‘विप्र’

शरद / कमला प्रसाद मिश्र ‘विप्र’

बितल बरसतिया सरद सुभ आइल।डमकि-डमकि रोइ बदरा चुपाइलकदम का डाढ़ि फुलगेनवा गंथाइलपाकल केस, कास-कुसवा बुढ़ाइल।बितल बरसतिया सरद सुभ आइल।।उपरा अगस्त उगल जल फरिआइलहेठवाँ के घाम देखि पाँक…

शब्द के कथा – प्रिंस रितुराज दुबे

शब्द के कथा – प्रिंस रितुराज दुबे

ByadminSep 27, 20241 min read

शब्द के चलऽ कथा सुने आ बुझल जव केतन बा बलशब्दे जिनगी के माने हऽ, शब्दे ह जिनगी कऽ ज्ञानशब्दे से ह आत्मा, शब्दे ह परमधामशब्दे से…

शत-शत नमन/विजय मिश्र 

शत-शत नमन/विजय मिश्र 

ByadminOct 4, 20241 min read

मानव जीवनस्वस्थ सुन्दर तनप्रभु के वरदानअनघा अवदाननाथ! बन्दन बार बारकरी स्वीकारभगवन!शत-शत नमन !!का चाहीं अबसोना न चानीना अउर धनचाहीं त बस,निर्मल मन !होखे-प्रीति रीतिरचना कलासम भावनम्र बेवहारसुविचारप्रभु…

वृत्त वाला खेत / केशव मोहन पाण्डेय

वृत्त वाला खेत / केशव मोहन पाण्डेय

सबसे उपजाऊँसबसे सयगरटोला के उत्तरगंडक के कछार मेंदूर-दूर ले विस्तारित बावृत्त वाला खेत केचैकसलहलहात स्वरुप।सभे मन से जुट जालाएके जोते, कोड़े, बोये मेंएकर विस्तारकबो मनई विहीन ना…

विपदा से हमरा के – रवीन्द्रनाथ टैगोर

विपदा से हमरा के – रवीन्द्रनाथ टैगोर

ByadminSep 27, 20241 min read

विपदा से हमरा केहरदम बचाव ऽ हरिई ना बाटे मिनती हमारजब जहाँ विपदा सेसामना जे होखे प्रभुहम नाही होईं भयभीतनिडर बनाव हरि हमरा के अतना किगाई हम…

विनाश के कगार पर/  राधा मोहन राधेश

विनाश के कगार पर/  राधा मोहन राधेश

ByadminOct 1, 20241 min read

देश बा पहुंच गइल विनाश के कगार पर,विवेक बा मरा गइल संहार के दुआर पर,खोदके, खरोंचके, काल के जगा रहलफण उठाके बिख-नाग देश के नचा रहल,काल के…

विदाई/ सौरभ भोजपुरिया

विदाई/ सौरभ भोजपुरिया

ByadminSep 25, 20241 min read

आँख से दूर भले तू हमरा दिल से कहाँ जइबूहर सांस में अपना मोहे दिल के अंदर पईबूजइसे गलेला मोम हो अन्हरिया के बिदाई मेंवइसे लोर के मोती गिरेला…

लोर/ डॉ॰ राम सेवक ‘विकल’

लोर/ डॉ॰ राम सेवक ‘विकल’

ByadminOct 1, 20241 min read

बहेला नयनवाँ से लोर, दरद उठे मोर,कि पिया मोरे आ जा ना ।मँह मँह मँहकेला बाग-बगइचा,भँवरा करेला गुंजार,भँवरा भँवरिया की मस्ती में मातल,लूटे तितिलिया बहार ।आइल जिनगिया…

कविता/ गीत / गज़ल - भोजपुरी मंथन - Page 4