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मछरी / ब्रजभूषण मिश्र

मछरी / ब्रजभूषण मिश्र

कतना आसान बाकेहू के हँसी आ मुसुकी केनाप लिहल।बाकिर गम के अथोर-अथाहगहराई,जवना के ओर-छोरपता ना चले ;के नाप सकेला, के नापे चाहेला ?जीयला के चाहेजतना खुशी मना लींकतना बेर मर चुकल बा मनई।सभे आपन-आपन अलापत बाएही से अइसन हालत बा।लय-ताल मिलत नइखे,प्राण…

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल – गणेश…

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल – गणेश…

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल, धीरे-धीरे हमरा मन के कमल फुलाए लागल। कतना दिन पर उनुका के भर नजर निहारत बानी,का जाने काहे दो देखत…

भोर / निलय उपाध्याय

भोर / निलय उपाध्याय

सरग के पार नदी मेंछप-छपनहातिया एगो मेहरारू सोना के थरिया में अछत-दूब लेकेपुरइन के पतई प खाड़ होईखाड़ होईमहावर से रचल पाँव घूघ हटाई आ राँभे लागी…

भोजपुरी भासा हऽ माई के/ डाॅ. पवन कुमार

भोजपुरी भासा हऽ माई के/ डाॅ. पवन कुमार

ByadminSep 26, 20241 min read

भोजपुरी भासा हऽ माई केदूध हऽ बकरी के गाई (गाय)केलाठी हऽ बाबू के भाई केझोरी हऽ बाबा के दाई के । दूध के ई छाली हऽ खखोरी हऽबउआ…

भोजपुरी के मान्यता देईं ए सरकार ! / राम…

भोजपुरी के मान्यता देईं ए सरकार ! / राम…

ByadminOct 1, 20241 min read

हमनी के देश में गांव के गढ़ कहल गईल बा आ हमनी के ओरीत भाषा भोजपुरी में ही सब लोग कुछवू कहेला … भारत में पांच करोड़…

भोजपुरी के अपनावल सीखा / राम बहादुर राय

भोजपुरी के अपनावल सीखा / राम बहादुर राय

ByadminOct 1, 20241 min read

झूठहीं सपना देखावल छोड़ाधरती गगन लिखावल छोड़ा। अहंकार से भरले बाड़ा बबुआहमके अउर सीखावल छोड़ा। हमनी के भाषा भोजपुरी हवेएकरा के तूहूं अपनावल सीखा। हर जगह मोह…

भोजपुरी कविता बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल…

भोजपुरी कविता बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल…

ByadminSep 25, 20241 min read

हमरा मनवाँ के मांगल मुराद मिलल बादिल के गमला में हमरा गुलाब खिलल बा I हमरा धड़कन के जेतना सवाल रहन सनओह सवालन के सुन्दर जबाब मिलल…

भावी बहू/ शीतल प्रसाद दुबे

भावी बहू/ शीतल प्रसाद दुबे

ByadminSep 30, 20241 min read

गोरिया पातर धप-धप गोर । मुखवा चमके चाँद जोत जस, अखियाँ कमल किशोर,दतवा हवे अनार के दाना, लोगवा चाहेला बटोर ।गोरिया पातर……. । करीया केश, अधखुलल नयन,…

भारी भरम बा – देवेन्द्र कुमार राय

भारी भरम बा – देवेन्द्र कुमार राय

ByadminSep 24, 20241 min read

आगे जाईं कि पिछे लखात नइखे, चुपे रहीं कि बोली बुझात नइखे। जमते जमतुआ जुगजितना भइल, हमरा जोडी़ के केहू भेंटात नइखे। जे बइठल बा उहे घवाहिल…

भारत से इंडिया ले/ प्रिंस रितुराज दुबे

भारत से इंडिया ले/ प्रिंस रितुराज दुबे

ByadminSep 26, 20242 min read

जवन भारत सभ्यता आ संस्कृति कऽ केंद्र होत रहेआज उऽ फूहर इंडिया हो गईल बा | जेकरा के मर्यादा आ सुनरता के जननी बुझल जात रहेआज उऽ…

कविता/ गीत / गज़ल - भोजपुरी मंथन - Page 8