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लोकतंत्र के मानी ई बा/ धरीक्षण मिश्र

लोकतंत्र के मानी ई बा/ धरीक्षण मिश्र

कथनी पर करनी फेरात नइखे,दिमाग गरम रह ता कबो सेरात नइखे,हर के दुगो बैल कइसे मान होइहें सनजब एगो बुढ़ गाई घेरात नइखे लोकतंत्र के मानी ई बा,लोकि, लोकि के खाईंजिन गिरला के आशा करिहें,हाथमलत पछताई ए भाई,अइसन राज ना…

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लोकतंत्र के मानी ई बा / धरीक्षण मिश्र

कथनी पर करनी फेरात नइखे,दिमाग गरम रह ता कबो सेरात नइखे,हर के दुगो बैल कइसे मान होइहें सनजब एगो बुढ़ गाई घेरात नइखे लोकतंत्र के मानी ई…

लोक सुदर्शन संधान/  राधा मोहन राधेश

लोक सुदर्शन संधान/  राधा मोहन राधेश

ByadminOct 1, 20241 min read

भोर भइल बापू सपना के, भागल भूत अन्हारसूतल सुगना ताके लागल, फड़कलपाँख पुरान ।पिजड़ा के पीड़ाइल चिरई, कबहुं सुछंद उड़ जालेबंदी देहिया तपल साधक के बान्हल ना…

लाली रे चुनरिया में/ सुरेन्द्र प्रसाद गिरि

लाली रे चुनरिया में/ सुरेन्द्र प्रसाद गिरि

ByadminOct 1, 20241 min read

लाली रे चुनरिया में अइली दुलहिनियानिरखेला गॅउवा के लोग हो ——- ।। टेक ॥।बिटिया के भइले बिदाई,नइहर छुटल बाबू – माई –कइसे सहिहे बियोग होलाली रे चुनरिया…

रोकल पानी/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

रोकल पानी/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

ByadminSep 30, 20241 min read

परिछन के चुनरी में कप्फन क पेंवना ईऊपर से राम नाम, नीचे सब अपना ई अपनन से कटे दींरटत बारटे दींअसरा क ओढ़ना सबफाटत बा फटे दीं…

रुपिया पइसा – दीपक तिवारी

रुपिया पइसा – दीपक तिवारी

ByadminSep 26, 20241 min read

रुपिया पइसा धन दौलत नइखे कवनो काम केबा जले जवानी कऽ लऽ हाली से चारो धाम के। आई बूढ़वती हाथवाँ कापी गोंडवाँ दिही जवाबअईठ के चलल सगरो…

राजा कुंअर सिंह / भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ‘भानु’

राजा कुंअर सिंह / भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ‘भानु’

रन से बन ले अमर गगन में गूंजत रहल कहानी बा।एह सुराज के ताज पहिलका कुंअर सिंह बलिदानी बा।।जेकर बलि बिरथा ना, भारत माई फेर महरानी बा।रंग…

राखS दूधवा के लजिया…. / शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’

राखS दूधवा के लजिया…. / शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’

ByadminOct 1, 20241 min read

राखS दूधवा के लजिया हमार बबुआ ।देस – प्रेमवे हऽ जिनिगी के सार बबुआ ! माली बनि देस के, सँवरिहऽ फुलवारीलागे ना बिआधि कवनों, केसर कियारी,होजा देसवा…

रहलीं करत दूध के कुल्ला/ विश्वनाथ प्रसाद शैदा

रहलीं करत दूध के कुल्ला/ विश्वनाथ प्रसाद शैदा

ByadminSep 27, 20241 min read

रहलीं करत दूध के कुल्लाछिल के खात रहीं रसगुल्लासखी हम त खुल्लम खुल्ला, झूला झूलत रहीं बुनिया फुहार मेंसावन के बहार में ना हम त रहलीं टह-टह…

रमजान – नूरैन अंसारी

रमजान – नूरैन अंसारी

ByadminSep 27, 20241 min read

हर साल में महज एक बार आवेला रमजान!संगे सनेश भाईचारा के ले आवेला रमजान! मिटावेला इ ह्रदय से सगरी क्रोध-किना-कपट के,जिनगी सादगी से जिए के सिखावेला रमजान!…

कविता/ गीत / गज़ल - भोजपुरी मंथन - Page 5