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आज के राजनीति/ संजय कुमार ओझा

adminSep 24, 20241 min read

पूरा परिवार समाजवादीन के,खाड़ बा सगरो उम्मीदवारी में,परिवारवाद वाला बहरी टिकट,बांटऽत बाटे खूब लाचारी में! जे लूटत आईल देश के अब ले,खानदानी बिगहटिया बूझीके,उहे चोर कहत घूमे ओकरा के,जे लागल बा च‌उकीदारी में ! आपस में लड़त बा सब लोग,राखी…

सृजन गीत / उमाकान्त वर्मा

याद झरत अँजुरी में,गंध भरल अँगुरी में,पोर-पोर सपना कोंचिआइलटहनी के टूसवा टुसिआइल।नदिया के घाटी में लहरा बाताल देत छनद बड़ा गहरा बाअर्थ भरल रात गइराइलटहनी के टुसवा टुसिआइल।बहक रहल मधुआइल छहियाँ बा,सहक रहल बउराइल बँहिया बा,काँपत बा बिजुरी अगुताइल,टहनी के…

बीत गइल मधुमास सुहावन – गणेश दत्त ‘किरण’

बीत गइल मधुमास सुहावन, साँस-साँस में बिथा समाइल;अब बतलाव अइल हा तू, केकर माँग सँवारे हो? कतना फागुन गइल, सूल से भरल बदरिया लहराइल नाकतना कदम अपात भइल, भिनुसार बँसुरिया लहराइल नाकतना सुख के सेज फूल से सजा-सजा के गइल…

आदमी आदमी के खाई तनिको ना सकुचाई/ विमल कुमार

adminSep 24, 20241 min read

मनई के देहि छोट होखेलाद बढ़ल खुब जाता,खा गइले सभ चिरई चुरूंगबिरिछो कइले नपाता।बदरी के बुढ़ारी आईलउठल बइठल न जाये,सुरूज आग उगिला तारेपानियो छटपटाये,धरती के तन झुरा झुरा केफाट गइल बेवाई,आदमी आदमी के खाईतनिको ना सकुचाई। मुदई मोखालिफ के नाम पहिते लगावे फंदा,देह…

कुंवार बिधवा – दिलीप कुमार पाण्डेय

adminSep 26, 20242 min read

जीवन के बडकी भउजाइ जवन बिआह का दूसरके साल मुसमात हो गइल रही बहुत दिन से उनका के बोलावत रही। जीवनो बहुत दिन से सोचत रहस भउजाइ से भेंट करेला। लेकिन संजोग ना बनत रहे। बिधवा बिआह के तमाम बिरोधो…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…