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भुला गइल मनवा जान के / भगती दास

भगती दासSep 22, 20241 min read

भुला गइल मनवा जान के।।मत-गरभ में भगती कबूलल, इहाँ सुतल बाड़ तान के।।एही कायागढ़ में पाँच गो सुहागिन, पाँचों सुतल बा एको नाहिं जाग के।।क्हे भगती दास कर जोरी, एक दिन जमुआ लेइ जाई बान्ह के।।

माटी के अँजोर / जितराम पाठक

जितराम पाठकApr 3, 20251 min read

सूप भरि रूप केसनूख भरि सोहुआ मेंसानल सनेहिया सलोरआन अवरू अपना केनेह-नाता गरगटलहना के बाटुरे बटोर।सोनवा के जाल मेंघेराइल सारी दुनियायोग के वियोग में पेराइल सारी दुनियाकिरन के बानकेहू मारेला अनेरियामाटी के सुवास छिलरावेला अहेरियादेहिया के नाता नधले बाझकझोरियाअन्हरा के…

माटी क बरतन / चंद्रदेव यादव

माटी अद्भुत चीज हएसे बनेला घरएसे बनेला चूल्हाचूल्हा पर पहिलेमटिये के बरतन मेंबनत रहल खाना,माटी क परई, माटी क सकोराआउर मटिये थरिया में खात रहैं लोग lमाटी अनमोल हसरीरो बनल ह मटिये सेओइसे कउनो आकार में होय माटीएक न एक…

भयावह कइलs ना/ हीरा प्रसाद ठाकुर

adminOct 1, 20241 min read

ए बबुआबाबूजी के राखs तू पगरियाडगरिया भेयावह कइलs ना । 2डगरिया भेयावह…….. । ए बबुआ भरि अंकवार कहाँ ना खेलवलेंकवन ना कइलें ऊ जोगरिया -2 ओकरा उपर गाज गिरवलsअसरा में खिचलs डंरिया । डगरिया-कवन अधामत ना ऊ जोगवलेंतजी देलें सुख…

आव ई त घर आपन बा, का दुआरे खड़ा हो सँकोचत बाट / मन्नन द्विवेदी ‘गजपुरी’

आव ई त घर आपन बा, का दुआरे खड़ा हो सँकोचत बाट।का घर के सुध आवतिआ, खम्हिया से खड़ा होके सोचत बाट।।मान जा बात हमार कन्हैया, चल हमरे घर भीरत आव।नींद अकेले न आवतिआ, कहनी कहिह कुछ गीत सुनाव।।

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…