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तहार साथ ए जिनगी / पाण्डेय आशुतोष

तहार साथ ए जिनगीहमसे ना होई!अँसुअन में डूब गइल सगरो कहानी।बेमौसम हर गलियन भइनीं बेपानी।।आनी-बानी दुनियाँ भर के सुन-सुन केचन्दन अस माटी में के माहुर बोई।।तहार साथ ए जिनगीहमसे ना होई।।रात-रात भर पपिहा पिहके पिछुआरे।उठ-उठ के झाँक आईं अपने दुआरे।।आँसू…

असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया – आकाश महेशपुरी

adminSep 26, 20242 min read

जन्म लेते पूत के उछाह से भरेला हिय, गज भर होइ जाला फूलि के ई छतिया। पाल-पोस के बड़ा करेला लोग पूत के आ, नीमने से नीमने धरावे इसकुलिया। होखते बियाह माई-बाप के बिसार देला, तबो माई-बाप दें आषीश दिन-रतिया।…

मन केतना कलुस / उमाकान्त वर्मा

मन केतना कलुस।तनल रहल डोरी बाकाँपत बा धनुस।मन केतना कलुस।सपना सब टूट गइलआपन सब छूट गइलभेटत बा कतहूँ ना कवनो नहुस।मन केतना कलुस।अँजुरी में ताजमहलआँसू के फूललोप रहल पुरवइयाचूवत जस धूलतबहूँ ना थाकत बा आपन पउरुस।मन केतना कलुस।छिप आइल कंधा…

बदलाव / चंद्रदेव यादव

अजादी के बादमुआरी हो गइल गाँवहरित क्रांति के फुआर सेसुगबुगाइलपौ फाटलसब कर चेहरा हरियाइलबाकी येह बिकास के चकचोन्ही मेंबिला गइल समाज-भावरमी खेलत क भूल जालें लोगकि पड़ोस में गमी ह एक पीढ़ी के सड़एचल गइल रहट-ढेंकुलीदुसरी के सड़ए दोन-दउरीअ तिसरी…

गुलबिया क चिट्ठी – कैलाश गौतम

adminSep 26, 20242 min read

कहीं निरदयी कि बेदरदी कहीं हमभुलक्‍कड़ कहीं कि अलहदी कहीं हमकि झुट्ठा कि लंपट कि बुद्धू अनाड़ीकि अकड़ू कि अँइठू कि पक्‍का खेलाड़ीगयल हउवा जब से न मुँह फिर देखउलान देहला सनेसा न चिट्ठी पठउलान कहले कहाला न सहले सहालाहमैं…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…