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धोखा / केशव मोहन पाण्डेय

बदलल जमानाबदलल ओझा-सोखा।मुँह में बाड़े रामबगल से मिले धोखा।। असरा के बदरा उड़ल बन के भुआपता लागल तब कि जिनगिया ह धुँआधधाले धीअरी तऽमन करे रोका।मुँह में बाड़े रामबगल से मिले धोखा।। लइकन के मीत-गीत सगरो भुलाइलनुन तेल लकड़ी के…

चुनाव/ बब्लु सिंह

adminSep 25, 20241 min read

आई फेरु चुनाव आ ,नेताजी लो आई,दुधमुँहा लइकन जस, लोगवन के भरमाई !! केहू मिटाई गरीबी,केहू आरक्षण खतम कर जाई,चोंगा लें के गली गली,विकाश देखावल जाई !! पाँच बरिश लउकले ना,तबो इनकर जोर बा,एक आना के काम ना भइल,तबो इनकर शोर बा !! प्रजातंत्र…

खाली बा देश – अरुण शीतांश

adminSep 26, 20241 min read

अहो खेतवो अभी खाली बा देशवो अभी खाली बा कबले खाली रही  मनवा हमार। मन में कईगो परानी बाड़ी जा लोग बाड़न उनकर भी मन खाली बा खाली बा खलिहान ओखर  पोखर सब खाली बा। एह घरी  रात दिन खाली…

मिठ्ठा/ उदय शंकर प्रसाद

adminSep 30, 20241 min read

मिठ्ठा के गोली, भेल्ली कहालाकई गो दवाई में, काम आ जालागन्ना के रस पाक के भेलली हो जालाचना के साथ सबेरे खोजाला गोर होय या करिया सस्ता बिकालाचिउड़ा फूला के ओमे मिसालामरचा आ नुन संगे धरालासट-सट सबके खुबे घोटाला भुजा…

रउरा गाँवे जब ले सावन आइल बा / आसिफ रोहतासवी

रउरा गाँवे जब ले सावन आइल बाहमरा गाँवे तलई- ताल सुखाइल बा पटना-दिल्ली बइठल रउरा का जानब –तरवा जेठे कतना ई भउराइल बा लेके हम आपन गगरी कहवाँ जाईंहमरा खातिर घाट सभे कउराइल बा जेतने पेवन सटलीं, ओतने छितराइलजिनगी के…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…