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इनरा मरि गइल / केशव मोहन पाण्डेय

कहीं होत होई नादानीबाकिरहमरा गाँवे तऽइनरा के पानीसभे पीयेसबके असरा पुरावे इनरातबो मरि गइलईऽ परमार्थ के पुरस्कारकाऽ भइल?समय के साथेलोग हुँसियार हो गइलइनरा के पानीबेमारी के घर लागे लागललोग रोग-निरोग के बारे मेंजागे लागल।लोग जागे लागलआ इनरा भराए लागललइका-सेयानसभे कुछ-कुछ…

हम सत्त नाम के बैपारी / धनी धरमदास

धरमदासSep 22, 20241 min read

हम सत्त नाम के बैपारी।कोइ-कोइ लादै काँसा पीतल, कोइ-कोइ लौंग सुपारी॥हम तो लाद्यो नाम धनी को, पूरन खेप हमारी॥पूँजी न टूटै नफा चौगुना, बनिज किया हम भारी॥हाट जगाती रोक न सकिहै, निर्भय गैल हमारी॥मोती बूँद घटहिं में उपजै, सुकिरत भरत…

प्यारी (विलाप) / भिखारी ठाकुर

हाय हाय राजा कैसे कटिये सारी रतियाजबले ग‍इले राजा सुधियो ना लिहले, लिखिया ना भेजे पतिया ।। हाय हाय….हाय दिनवां बितेला सैयां बटिया जोहत तोर, तारा गिनत रतियाँ ।। हाय हाय…जब सुधि आवै सैयां तोरी सुरतिया बिहरत मोर छतिया ।।…

पटरी ना खाई – जितराम पाठक

जितराम पाठकSep 26, 20241 min read

अरुआइल बा बात तहार, हटाव फरका,ले अइब एने अब त पटरी ना खाई। चूरी-टिकुली के हम सुनलीं गीत अनेकनपाकि गइल बा कान,कपार बथत बा फरके,लागल हरकेतू बाड़ अइसन उजिआवनदुपहरिया में गीत भोर के गावत बाड़लागल बाटे आगि, बइठि पगुरावत बाड़मारि…

विदाई/ सौरभ भोजपुरिया

adminSep 25, 20241 min read

आँख से दूर भले तू हमरा दिल से कहाँ जइबूहर सांस में अपना मोहे दिल के अंदर पईबूजइसे गलेला मोम हो अन्हरिया के बिदाई मेंवइसे लोर के मोती गिरेला तहरा जुदाई मेंतू मोर आंगन से दूर पर मन के दिवार में रहबूबन…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…