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केहू-केहू का होखे राम नाम के चरचा / मास्टर अजीज

मास्टर अजीजApr 4, 20251 min read

केहू-केहू का होखे राम नाम के चरचाकहीं-कहीं चढ़ल बाटे घरे-घरे घरे-चरचा, केहू-केहू का, जोड़ाता रात-दिन के खरचा।घोंसरिये में निकलल बा घर-घर के लरछा,केहू-केहू का, निकले आपसे में बरछा। गाँवे-गाँवे बाँटल जाला खेतवे के परचा, केहू-केहू का, मिले पिये के ना…

तोहरा नियर दुनिया में केहू ना हमार बा / जनकवि भोला

जनकवि भोलाApr 3, 20251 min read

तोहरा नियर दुनिया में केहू ना हमार बादेखला प अंखिया से लउकत संसार बामनवा के आस विश्वास मिलल तोहरा सेजिनिगी के जानि जवन खास मिलल तोहरा सेतोहरे से जुड़ल हमार जिनिगी के तार बादेखला प अंखिया से लउकत संसार बाहेने…

अन्हर लट्ठ / कुंज बिहारी ‘कुंजन’

अपना आगे सभे लगावे अन्हका के बैमान॥अपना जाने सभे दूध के धोवल वा पुरधान॥जेही के देखी से बस, अन्हके के गरियाबत बा।अन्हके गलती लउकत बाट भाषाण उडि़यावत बा॥तब के लेता घूस, देत बा के सै सै के नोट ?दूनो धर्मराज में…

कोटिश: प्रणाम बा / कन्हैया लाल पण्डित

भक्त भय हारिणी, अभय प्रदान कारिणी, भलुनीधाम वासिनी के कोटिशः प्रणाम बा।चण्ड-मुण्ड मुण्डिनी, निशुम्भ-शुम्भ खंडिनी, महा महीष मर्दिनी के कोटिशः प्रणाम बा।अखिल ब्रह्मांड कारिणी, नर मुण्डमाल धारिणी, श्री यक्षिणी तपस्विनी के कोटिशः प्रणाम बा।दुर्ग दैत्य नासिनी, दुर्गा नाम भाषिनी, दुर्गम…

कैथर कला की औरतें / गोरख पाण्डेय

तीज-व्रत रखतीं, धान-पिसान करती थींग़रीब की बीवीगाँव भर की भाभी होती थींकैथरकला की औरतें गाली-मार ख़ून पीकर सहती थींकाला अच्छरभैंस बराबर समझती थींलाल पगड़ी देखकर घर मेंछिप जाती थींचूड़ियाँ पहनती थींओठ सीकर रहती थींकैथरकला की औरतें ज़ुल्म बढ़ रहा थाग़रीब-गुरबा…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…