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बाँट-बखरा में सुख-दुख बँटा गइल बा / पी.चंद्रविनोद

बाँट-बखरा में सुख-दुख बँटा गइल बा,अपना माटी के खूशबू लुटा गइल बा घुप अन्हरिया के जादू चढ़ल माथ पर,चाँदनी उनका घर में छिंटा गइल बा बिन बदरियों इहाँ पर ना आवेला घाम,के दो सूरुज के चुपके लुका गइल बा मोर…

भरसटाचार – प्रभुनाथ उपाध्याय

adminSep 27, 20241 min read

कइसे खतम होई देशवा से भरसटाचारखतम होई कइसे सुविधा सुलूक आचार॥ सब लोग कहत बाड़े मुहँवा से उपरनाही परियास पर हिरदय के भीतर।माई खाती करीहें जे सब परोपकारदेशवा के हो जाईत बाड़ा उपकार।कइसे खतम होई देशवा से भरसटाचार॥ छेत्र में…

गौरैया / केशव मोहन पाण्डेय

जइसे दूध-दही ढोवेसबके सेहत के चिंता करे वालागाँव के ग्वालिन हऽगौरैयाएक-एक फूल के चिन्हें वालामालिन हऽ।अँचरा के खोंइछा हऽविदाई के बयना हऽअधर के मुस्कान हऽलोर भरल नैना हऽ।चूड़िहारिन जससबके घर के खबर राखेलेडेहरी भरी कि नाऽखेतवे देख केअनाज के आवग…

भोर / निलय उपाध्याय

सरग के पार नदी मेंछप-छपनहातिया एगो मेहरारू सोना के थरिया में अछत-दूब लेकेपुरइन के पतई प खाड़ होईखाड़ होईमहावर से रचल पाँव घूघ हटाई आ राँभे लागी गायघूघ हटाईआ नाद प दउर जइहें बैल झाड़ू उठाईझक-झक साफ करी घरचूड़ी बजाई……

बेंच दिहले बाबूजी हमर गोयड़ा घराड़ी/ रामप्रसाद साह

adminOct 1, 20241 min read

बेंच दिहले बाबूजी हमर गोयड़ा घराड़ीनगद मांगे बेटाहा लड़की बाटे कुंवारी ले ले बाटे नगदी तावातोड़ फरमाइसघोड़ा चढी बेटवा अपने रही साइसउनइस बीस मानी ना तेरह बाइसबेटा बेंचुवा लोग के बड़ी बड़ी खोवाइसदू दर्जन गाड़ी आई साटा बा तइयारीबेंच दिहले——–…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

Recent

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…