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कुछ त दीप जरवले जा – अभय कृष्ण त्रिपाठी “विष्णु”

adminSep 26, 20241 min read

चारो तरफ घनघोर अँधेरा, कुछ त दीप जरवले जारात के बाद सुबह भी होखी, ई एहसास करवले जा. आपन ढ़पली आपन राग पर, अपने गाल फुलवले बाआपन दही के मीठ बता के, हर केहु ताल बजवले बा आँधी में बँसवरिये…

सवालन में लोकतंत्र – गंगाशरण शर्मा

adminSep 26, 20241 min read

गणित में बा आंकड़न के महत्व लोकोतंत्र में बा आंकड़न के सम्मान  बाकिर जब खेले लागनस आंकड़ा धर्म जाति संप्रदाय के गोटी मिटे लागेला सामूहिक -निरपेक्षता -एकता पिटे लागेला सद्भावना-मारयादा -सहिष्णुता  तब दरके लागेला विश्वास जनता के बेवस्था में! ———————-…

जान जाई त जाई / जनकवि भोला

जनकवि भोलाApr 3, 20251 min read

जान जाई त जाई, ना छूटी कभीबा लड़ाई ई लामा, ना टूटी कभीरात-दिन ई करम हम त करबे करबआई त आई, ना रुकी कभीबा दरद राग-रागिन के, गइबे करबदुख आई त आई, ना झूठी कभीसाथ साथी के हमरा ई जबसे…

मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया/ डॉ॰ (प्रो) अरुण मोहन ‘भारवि’

adminOct 4, 20241 min read

पाँच तत्त्व की बनी चुनरिया,सोरह से बन्द लागे जिया ।। 1।। यह चुनरी मैके से आई,ससुरे में मनुवा खोय दिया । । 21। मलि-मलि धोई दाग न छूटै,ज्ञान का साबुन लाय पिया ||3|| कहैं कबीर दाग तब छुटिहैं,जब साहेब अपनाय…

पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप – संत गुलाल साहब

गुलाल साहबSep 27, 20241 min read

पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप।मनुआ हमार विआहल हो ताही रे रूप।। ऊँच अटारी पिया छावल हो ताही रे रूप।मोतियन चउक पुरावल हो ताही रे रूप।। अगम धुनि बाजन बजावल हो ताही रे रूप।दुलहिन दुलहा मन भावल हो ताही…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…