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सुराज (एक) / जगदीश ओझा ‘सुन्दर’

सगरी बिपतिया के गाड़ भइलि जिनिगी।नदी भइल नैना पहाड़ भइलि जिनिगी। आग जरे मनवा मेंधधकेले सँसियाअसरा में धुआँ उठेप्रान चढ़ल फँसियादेहि के जरौना बा भाड़ भइलि जिनिगी।नदी भइल नैना पहाड़ भइलि जिनिगी। केहू माँगे घूस, केहू-माँगे नजरानाकेहू माँगे सूदि मूरिकेहू…

झरिलागै महलिया, गगन घहराय / धनी धरमदास

धरमदासSep 22, 20241 min read

झरिलागै महलिया, गगन घहराय।खन गरजै, खन बिजरी चमकै, लहर उठै सोभा बरनि न जाय॥सुन्न महल से अमरित बरसै, प्रेम अनंद होइ साध नहाय॥खुली किवरिया मिटी अंधियरिया, धन सतगुरु जिन दिया है लखाय॥‘धरमदास बिनवै कर जोरी, सतगुरु चरन मैं रहत समाय॥

सृजन गीत / उमाकान्त वर्मा

याद झरत अँजुरी में,गंध भरल अँगुरी में,पोर-पोर सपना कोंचिआइलटहनी के टूसवा टुसिआइल।नदिया के घाटी में लहरा बाताल देत छनद बड़ा गहरा बाअर्थ भरल रात गइराइलटहनी के टुसवा टुसिआइल।बहक रहल मधुआइल छहियाँ बा,सहक रहल बउराइल बँहिया बा,काँपत बा बिजुरी अगुताइल,टहनी के…

जेकरा से आस रहे/ विद्या शंकर विद्यार्थी

adminSep 27, 20241 min read

जेकरा से आस रहे बाप के करतूत ना ढोईउहो अब तऽ ओही राह पर दर‌ के चलताजमाना के आँख में धूर झोंकला प लिख लेलातसल्ली एतने बा कि जमाना सांच उगीलताहिसाब अनहकी के सब इहंँवे‌ हो जाई सुनलींसमय अबहीं भुलावा…

कौ ठगवा नगरिया लूटल हो / कबीरदास

कबीरदासSep 19, 20241 min read

कौ ठगवा नगरिया लूटल हो।। टेक।।चंदन काठ कै वनल खटोलना, तापर दुलहिन सूतल हो।। 1।।उठो री सखी मोरी माँग सँवारो, दुलहा मोसे रूसल हो।। 2।।आये जमराज पलंग चढ़ि बैठे, नैनन आँसू टूटल हो।। 3।।चारि जने मिलि खाट उठाइन, चहुँ दिसि…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

Recent

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…