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पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप – संत गुलाल साहब

गुलाल साहबSep 27, 20241 min read

पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप।मनुआ हमार विआहल हो ताही रे रूप।। ऊँच अटारी पिया छावल हो ताही रे रूप।मोतियन चउक पुरावल हो ताही रे रूप।। अगम धुनि बाजन बजावल हो ताही रे रूप।दुलहिन दुलहा मन भावल हो ताही…

प्रयास / केशव मोहन पाण्डेय

जिनगी जहर ना हऽहहरावेलेघहरावेलेतबोकहर ना हऽ।जिनगीराग हऽरंग हऽएह केअजब-गजब ढंग हऽई कई बेर बुझालेकि बिना बिआहे के बाजा हऽछन में फकीर हऽ ईछन मेंचक्रवर्ती राजा हऽ।ई तऽ सभे जानेलाकि पानी बही नातऽ गड़हा में ठहर केमर जाईबबुआसुतला से कुछ ना…

मछरी – दिलीप कुमार पाण्डेय

adminSep 26, 20244 min read

देवाली आवते सन ८८ ई.के घटना मन परेला। बी.एस.सी के दुसरका साल रहे ठीक दिवाली का एक दिन पहिले सत्या भाई नित्या भाई बबलू आ ढुनमुन का संगे हमहू पोखरी कीओर चल देहनी। गांव में जवन घरारी बा उ कादू…

कहवाँ गइल?/ निर्भय नीर

adminSep 24, 20241 min read

कहवाँ गइलऽ, मोरी मनवा रे ।।एह करे खोजीं, ओह करे खोजीं,कतहीं ना पाईं , तोरी संगवा रे।कहवाँ गइल , मोरी मनवा रे।।१।। रतिया सपनवा में, निनिया जे टूटल।आँखि के कोरवा से, लोरवा जे छूटल।।ढ़रकी भींजावे , मोरी गलवा रे ।कहवाँ…

बीत गइल मधुमास सुहावन – गणेश दत्त ‘किरण’

बीत गइल मधुमास सुहावन, साँस-साँस में बिथा समाइल;अब बतलाव अइल हा तू, केकर माँग सँवारे हो? कतना फागुन गइल, सूल से भरल बदरिया लहराइल नाकतना कदम अपात भइल, भिनुसार बँसुरिया लहराइल नाकतना सुख के सेज फूल से सजा-सजा के गइल…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…