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बसन्त / चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’

adminSep 20, 20241 min read

आइल मस्त महीना सजनी, धरती पर मुस्कान रे।।झुकल आम के डाढ़ि बौर से, भीतर कोइली बोललसाँझ समीरन बहल मस्त हो, बिरहिनि के मन डोललमहुआ के डाढ़ी पर उतरल, हारिल लेइ जमात रे।। आइल….. लाल सुनर पतई पेड़न के फुलुंगी पर…

किरिनियाँ कहाँ चलि जाले?

सारी सोनहुली सबेर झमका के,सँवकेरे रूप के अँजोर छिटिका के,जाये का बेर ढेर का अगुताले-किरिनियाँ कले-कले कहाँ चलि जाले?चलत-चलत बीच रहिया में हारल,दुपहरिया तेज तिजहरिया के मारल,धनि बँसवरिया का पाछे लुकाले!किरिनियाँ कले-कले कहाँ चलि जाले?दिनभर का जिनगी के कहते कहनियाँ,जात…

डेग-डेग मन के वेग – श्वेताभ रंजन

adminSep 27, 20241 min read

डेग-डेग मन के वेग तेज़-तेज़ अउर तेज़रात-चाँद के समेटछुप गइल, हाँ छुप गइलदिन के आगे, होके ढेरडेग-डेग मन के वेगतेज़-तेज़ अउर तेज़ बहुत कम, हाँ बहुत कमतनी-मनी या ढेर कमपिस रहल बा, बारीक़ तकसमय के, चाक परमन के, दाब करचुप…

औचक डंका पड़ी मन में कर होशियारी हो / दरसन दास

दरसन दासSep 22, 20241 min read

औचक डंका पड़ी मन में कर होशियारी हो।काल निरंजन बड़ा खेलल बा खेलाड़ी हो।।सुर नर मुनी देवता लो के मार के पछाड़ी हो।ब्रह्मा के ना छोड़ी वेद के विचारी हो।।शिव के ना छोड़ी जिन वेद के बिचारी हो।।शिव के ना…

रजनीति/ दिनेश पाण्डेय

adminSep 24, 20241 min read

झूठ आँखि के सोझ जे, साँचा जवन अदीख।अखनी के रजनीति में, दरसन के ई सीख। वादा कइके छाड़ि दऽ, मान न नीति अनीति।ना बैरी हित केहुओ, एखनि के रजनीति। धोती खोलऽ तू हमर, अवरी हमूँ तहार।एही गोटी दुइजना, खेलीं जुगवासार। ठगवा के चेला…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…