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मन केतना कलुस / उमाकान्त वर्मा

मन केतना कलुस।तनल रहल डोरी बाकाँपत बा धनुस।मन केतना कलुस।सपना सब टूट गइलआपन सब छूट गइलभेटत बा कतहूँ ना कवनो नहुस।मन केतना कलुस।अँजुरी में ताजमहलआँसू के फूललोप रहल पुरवइयाचूवत जस धूलतबहूँ ना थाकत बा आपन पउरुस।मन केतना कलुस।छिप आइल कंधा…

बिछौना बेवधान के – देवेन्द्र कुमार राय

adminSep 24, 20241 min read

करे खातीर शासन सभे बेंचलसि बिचार,  हार होइबे करी।  चुटुकी भर पावे खातीर करब जब मार,  हार होइबे करी।टेक।  बसुधा कुटुम्ब सोंच पुरुखन के रहे,  सुख दुख मिलिजुल सभकेहु सहे,  लालच लोभ दिहलसि दुखवा आपार  हार होइबे करी। चुटुकी——–जब मार।…

हम सत्त नाम के बैपारी / धनी धरमदास

धरमदासSep 22, 20241 min read

हम सत्त नाम के बैपारी।कोइ-कोइ लादै काँसा पीतल, कोइ-कोइ लौंग सुपारी॥हम तो लाद्यो नाम धनी को, पूरन खेप हमारी॥पूँजी न टूटै नफा चौगुना, बनिज किया हम भारी॥हाट जगाती रोक न सकिहै, निर्भय गैल हमारी॥मोती बूँद घटहिं में उपजै, सुकिरत भरत…

संयुक्त परिवार / केशव मोहन पाण्डेय

होखे कबो झगड़ाचाहे तकरारओहू में छलकेमाई-चाची के दुलाररहि-रहि सुनाला ओहिमेहुँशियारी, नादानीएक्के झगड़वा मेंदस गो कहानी।ऊ झगड़ा ना,रहे रिश्ता के जहानरोज नया रचे-बसेउघटा-पुरान।केहू पूछेमिले केहू से जवाबतबो सब पर चलेसबके हाँक-दाब।कहे माईमत करऽनया-नया खेलछुछुन्नर के माथेचमेली के तेल।रचि-रचि करें धनिसोरहों सिंगारसगरे…

चइत दुआरे ठाढ़ – दिनेश पाण्डेय

adminSep 26, 20241 min read

फगुआ के अनवाध में, चइत दुआरे ठाढ़।ललकी किरिन परात के, तकलसि घूघा काढ़। मादक महुआ गंध में, डूबल बनी समूल।हवा कटखनी बिन रहल, मउनी भरि-भरि फूल। चइता के धुन अस चढ़ल, भइल असंभो बात।लँवडा संग जटेसरो, नचले सारी रात।

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…