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सब लोग देहात से जात बाड़े शहर/ प्रभुनाथ उपाध्याय

adminSep 27, 20241 min read

सब लोग देहात से जात बाड़े शहर।हर केहू पकड़ले बाऽ एगही डहर॥ गँउआँ में नाही केहू रहे चाहतसब केहू बतिया एगही कहत।एही से गाँवन में भइल बाटे कहरसब लोग देहात से जात बाड़े शहर॥ सब केहू कहेला कि लइका बाटे…

भोजपुरी के मान्यता देईं ए सरकार ! / राम बहादुर राय

adminOct 1, 20241 min read

हमनी के देश में गांव के गढ़ कहल गईल बा आ हमनी के ओरीत भाषा भोजपुरी में ही सब लोग कुछवू कहेला … भारत में पांच करोड़ आसमूचा संसार में सोरह करोड़ भोजपुरी बोलेवाला बानींजा… आजादी केअमृत महोत्सव भी मना…

आँख में आके बस गइल केहू / दिनेश ‘भ्रमर’

आँख में आके बस गइल केहूप्रान हमरो परस गइल केहू हमरे लीपल-पोतल अँगनवाँ मेंबन के बदरा बरस गइल केहू गोर चनवा पे ई सॉवर अँधेरादेखि के बा तरस गइल केहू फूल त काँट से ना कहलस कुछझूठे ओकरा पे हँस…

आमवा से अमरित टपके/ ओमप्रकाश अमृतांशु

adminOct 7, 20241 min read

आमवा से अमरित टपके ,चह-चह चहके चिरइयाँ.महुआ सुगंध में मातल,कुकू -कुकू कुकेले कोइलिया .कि आरे काऊँ- काऊँ करेला रे कागावाछप्परवा पे बिरहा गवाइल.

झरिलागै महलिया, गगन घहराय / धनी धरमदास

धरमदासSep 22, 20241 min read

झरिलागै महलिया, गगन घहराय।खन गरजै, खन बिजरी चमकै, लहर उठै सोभा बरनि न जाय॥सुन्न महल से अमरित बरसै, प्रेम अनंद होइ साध नहाय॥खुली किवरिया मिटी अंधियरिया, धन सतगुरु जिन दिया है लखाय॥‘धरमदास बिनवै कर जोरी, सतगुरु चरन मैं रहत समाय॥

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…