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मन तू काहे ना करे रजपूती / परमहंस शिवनारायण स्वामी

adminSep 22, 20241 min read

मन तू काहे ना करे रजपूती।असहीं काल घेरि मारत ह जस पिजरा के तूती।पाँच पचीस तीनों दल ठाड़े इन संग सैन बहुती।रंगमहल पर अनहद बाजे काहें गइलऽ तू सूती।शिवनारायन चढ़ मैदाने मोह भरम गइल छूटी।

सपने में सखी साजन अईले/ कन्हैया प्रसाद तिवारी

adminSep 26, 20241 min read

सपने में सखी साजन अईलें, हमसे प्यार जतवलेंगोदी में बईठा के हमके, हँसि-हँसिके बतिअवलें॥ खुलल आँख त सेज बा सून, तूरलें प्यार के डोरीदिल में धधके आग हमरा, मतिया के भरमवलें॥ लोर आँख से सूखत नईखे आँचर से लाज पोंछत…

 सिंगार / अमरेन्द्र जी

adminSep 24, 20241 min read

पियवा जतन करे, मनवा मगन रहे,पग के नुपूर तब, झनके झनकि झनन।पिक करे कुकु कुकु,हिय करे हुकु हुकु,साँस करे धुकु धुकु,खखने खखनि खखन ।। आँखि में कजरा डारि,केस में गजरा झारि,सोरहो सिंगार करी,चलसु धनि बनि ठनि।लंगहा लहार मारे, चुनरी ओहार…

इहे बाबू भइया / आचार्य महेन्द्र शास्त्री

कमइया हमार चाट जाता, इहे बाबू भइया। जेकरा आगा जोंको फीका, अइसन ई कसइयादूहल जाता खूनो जेकर, अ इसन हमनी गइया॥ अंडा-बाचा, मरद मेहर दिन-दिन भर खटैयातेहू पर ना पेट भरे, चूस लेता चइँया॥ एकरा बाटे गद्दा-गद्दी, हमनी का चटइयाएकरा…

का हो बबूनी – अरुण शीतांश

adminSep 26, 20241 min read

अब घर के चबेनी के फाँकी? के जाई गोबर ठोके? केकर घर से आगी आई? के माई के पउंवा दबाई? के सोहर गाई ? के झूमर पारी? के अलत्ता से पाँव रंगी? के गवना के बोलहटा दीही? के भाई के…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…