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हमहूँ कहीं तूहूँ कह s / गुलरेज़ शहज़ाद

हमहूँ कहीं तूहूँ कह sहमहूँ बहीं तूहूँ बह s दुखवा सबके एके बाटेहमहूँ सहीं तूहूँ सह s सबके सपना बाँचल रहेहमहूँ रहीं तूहूँ रह s भइयारी के हाथ ना छूटेहमहूँ गहीं तूहूँ गह s मन से माहुरबह के निकलेहमहूँ महीं…

धोखा / केशव मोहन पाण्डेय

बदलल जमानाबदलल ओझा-सोखा।मुँह में बाड़े रामबगल से मिले धोखा।। असरा के बदरा उड़ल बन के भुआपता लागल तब कि जिनगिया ह धुँआधधाले धीअरी तऽमन करे रोका।मुँह में बाड़े रामबगल से मिले धोखा।। लइकन के मीत-गीत सगरो भुलाइलनुन तेल लकड़ी के…

दुनिया लागेला दैनिक अखबार हो गइल

दुनिया लागेला दैनिक अखबार हो गइलदिन दिन जिनिगी के दिनसमाचार हो गइल।।कान का कहिया अवसरमिली कि सुनी।एगो आदमी से आदमी केप्यार हो गइल।।

बड़ा नीक लागै – जगदीश पंथी

adminSep 26, 20241 min read

रुनुक-झुनुक बाजै पायल तोर पँउआ, बड़ा नीक लागै –ननद तोर गँउआ, बड़ा नीक लागै देवरा निहारै पीपर झरै पातीहमरी उमिरिया फरै दिन-रातीगरवा में नेहिया के लागत गरँउआ, बड़ा नीक लागै –ननद तोर गँउआ, बड़ा नीक लागै कोंइया खिलै मोरे मन…

सागर से भेंट/ डॉ॰ शारदा पाण्डेय

adminOct 1, 20241 min read

सुख तबले बाँझं रही,जब ले दुःख से बतिआई ना ।जगि त ईहे ह किजमुना के धार, गंगा में समाईतवे ओकरा के सागर भेंटाई ॥

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…