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नवका जमाना / आदित्य दूबे

adminSep 26, 20241 min read

सादर परनाम ए बिग्यान के चमतकारदुनिया घेराइल कम्प्यूटर इन्टरनेट में। आ सगरो बिकास भाई- चारा के हरास भइलप्रेम सदभाव गइल परसो के डेट में।दुनिया घेराइल कम्प्यूटर इन्टरनेट में॥ काम क्रोध बढ़ गइल, दया छेमा घट गइलभाई मारे लात अपने भयवे…

भुला गइल मनवा जान के / भगती दास

भगती दासSep 22, 20241 min read

भुला गइल मनवा जान के।।मत-गरभ में भगती कबूलल, इहाँ सुतल बाड़ तान के।।एही कायागढ़ में पाँच गो सुहागिन, पाँचों सुतल बा एको नाहिं जाग के।।क्हे भगती दास कर जोरी, एक दिन जमुआ लेइ जाई बान्ह के।।

पथल के भगवान/ सुरेन्द्र प्रसाद गिरि

adminOct 1, 20241 min read

पथल के हो भगवान !हो तोरे जगवा में दहकल बा आग —— ।। टेक ॥।घुट-घुट जीअत इंसानहो तोरे जगवा में दहकल बा आग –दानी हरिचनदर के सड़क पर बिकवलsतारामती रनिया के चेरिया बनवलsबिपते में रोहित के डंसलख नागपथल के हो…

जय-जय सब भारतवासी के | संग्राम ओझा “भावेश”

adminSep 24, 20241 min read

सभ्यता संस्कृति के देश रहे,अब त कुछु अउरे शुरु भइले,सोने के चिडीयाँ भी उड़ गइल,ना जाने कहाँ विश्वगुरु गइले,लोक लाज के भुल गइल सभे,पश्चिम सभ्यता अपनावता,फैशन में फाटल कपड़ा पहिन के,आधा देही देखावता,सब जान के जहर पिये सबहीं,इहाँ रुप लेला अविनाषी के,जय जय भारत-जय…

गुरु पुर्णिमा/ जगदीश नारायण सिंह ‘ऋषिवंशी’

adminSep 30, 20241 min read

गुरु का हमारे देश में तो पूज्यनीय महत्त्व है ।गुरु पुर्णिमा दिवस का गरिमामयी अस्तीत्व है ।।गुरु पुर्णिमा अपनी जगह शिक्षक दिवस अब आ गया ।इस बदलते वक्त में स्थान उत्तम पा गया ।। तब कहाते थे गुरू अब बढ़के…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

Recent

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…