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आदमी से आदमी अझुराइल बा / प्रभुनाथ सिंह

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत बेमउआर आज के दिन।सभका मगज में भँग घोराइल बा॥नाता-रिस्ता जड़ से टूट रहल बा॥जे जहाँ बा ऊहें से लूट रहल बा।एह बउरइला के कवन पारावारा बा?सभे अपने खून के चिहुट…

पथल के भगवान/ सुरेन्द्र प्रसाद गिरि

adminOct 1, 20241 min read

पथल के हो भगवान !हो तोरे जगवा में दहकल बा आग —— ।। टेक ॥।घुट-घुट जीअत इंसानहो तोरे जगवा में दहकल बा आग –दानी हरिचनदर के सड़क पर बिकवलsतारामती रनिया के चेरिया बनवलsबिपते में रोहित के डंसलख नागपथल के हो…

आंख के आन्हर – जगदीश खेतान

adminSep 26, 20245 min read

ई सन 1971 के बात हऽ। पाकिस्तान आ भारत मे लड़ाई शुरु हो गईल रहे। पूरा देश मे येगो उत्साह छा गईल रहे। हर जगह येही के चर्चा होत रहल। बुझात रहल की लड़ाई लंबा खिंची। रात के ब्लैक आऊट…

सपने में सखी साजन अईले/ कन्हैया प्रसाद तिवारी

adminSep 26, 20241 min read

सपने में सखी साजन अईलें, हमसे प्यार जतवलेंगोदी में बईठा के हमके, हँसि-हँसिके बतिअवलें॥ खुलल आँख त सेज बा सून, तूरलें प्यार के डोरीदिल में धधके आग हमरा, मतिया के भरमवलें॥ लोर आँख से सूखत नईखे आँचर से लाज पोंछत…

हे मन रामनाम चित धौबे / भीखा साहब

भीखा साहबSep 22, 20241 min read

हे मन रामनाम चित धौबे।।काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे।गुरु परताप साधु के संगति नाम पदारथ रुचि से खौबे।।सुरति निरति अंतर लव लावे अनहद नाद गगन घर जौबे।रमता राम-सकल घर व्यापक नाम अनन्त एक ठहरौबे।।तहाँ गये…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

Recent

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…