Post List #2

बिछौना बेवधान के – देवेन्द्र कुमार राय

बिछौना बेवधान के – देवेन्द्र कुमार राय

adminSep 24, 20241 min read

करे खातीर शासन सभे बेंचलसि बिचार,  हार होइबे करी।  चुटुकी भर पावे खातीर करब जब मार,  हार होइबे करी।टेक।  बसुधा कुटुम्ब सोंच पुरुखन के रहे,  सुख दुख मिलिजुल सभकेहु सहे,  लालच लोभ दिहलसि दुखवा आपार  हार होइबे करी। चुटुकी——–जब मार।…

बिछड़े जब इयार/ दीपक तिवारी

बिछड़े जब इयार/ दीपक तिवारी

adminSep 24, 20241 min read

जान से बेसी केहू के जब कइल जाला पेयार,दरद होला बड़ा दिल में ऊ बिछड़े जब इयार। दरद जुदाई के सहले नाही सहाला हो,दुनियाँ लागे वीरान कुछ ना बुझाला हो।रुके ना छन भर बहे बस अंसुवाँ के धार..दरद होला बड़ा दिल में ऊ बिछड़े…

बाहुबली/ कन्हैया सिंह ‘सदय’

बाहुबली/ कन्हैया सिंह ‘सदय’

adminOct 1, 20241 min read

डाकू-लूटेरा बाहुबली, जीति नेता बनि के आ गइलें,संसद के महिमा माटी भइल, बरबाद ई देशवा हो गइलें ।रंगदारी आ सीना जोरी, रोज रोज के धंधा हो गइलें,जनता के सेवक ना बनलें, जनते के फंडवा खा गइलें ।आतंकी आ नक्सलीयन के,…

बाह रे जमाना…/ सुजीत सिंह

बाह रे जमाना…/ सुजीत सिंह

adminSep 26, 20241 min read

बाह रे जमाना इ त,हद हो गइल।मेहरारू के आगे माई,रदद् हो गइल।। छोह मउगी से प्यार,माई पावे दुत्कार।माई बाटे मोहताज,मेहर मुरीया के ताज। ममतामयी माई आज,बद्द हो गइल।मेहरारू के आगे माई,रदद् हो गइल। adminbhojpurimanthan.com/

बाति मानऽ सुगनवा – रमाशंकर वर्मा ‘मनहर’

बाति मानऽ सुगनवा – रमाशंकर वर्मा ‘मनहर’

adminSep 27, 20241 min read

जनि कर एतना गुमान हो, बाति मानऽ सुगनवा॥ बहुते घमण्डी लोग पल में बिलाइलतू कवनी बल पर बाड़ऽ उतराइलचलेलऽ हो ए उतान हो, बाति मानऽ सुगनवा॥ अन-धन सगरे ई महलऽ अँटारीगम-गम गमके कामदेव के बारीहो जाई एक दिन बीरान हो,…

बसन्ती बेयार/ शीतल प्रसाद दुबे

बसन्ती बेयार/ शीतल प्रसाद दुबे

adminSep 30, 20241 min read

नइहरवा बसन्ती बेयार, ससुरवा हम ना जइबो । ससुरा में बाड़े खपड़ा मकनिया, दलनिया के ढहल किनार,नइहर में सोभेला सुनर मकनिया, दुअरा पs पकवा इनार ।ससुरवा हम… ननदी के बोली, सासु से खटपट, होखेला रोज बेसुमार,ननदी के ओरहन पS, सासु…

बसन्त/ डॉ॰ वसंत कुमार

बसन्त/ डॉ॰ वसंत कुमार

adminOct 4, 20241 min read

नाचे बउर बसन्त के लहरिया गुजरीमाते मधुआ से भीतर बहरिया गूजरीलेसे कोइल – पपीहा के बचनियाँ हिये सूलगूंजे मनवां के सउसे डगरिया गूजरीभुके सरम से कनियाँ गुलाब – कलियाभोरा छेड़े, नाहीं फेरे ऊ नजरिया गूजरीलाल कलिया के लागे लाल पतिया…

बसन्त फागुन / अशोक द्विवेदी

बसन्त फागुन / अशोक द्विवेदी

धुन से सुनगुन मिलल बा भँवरन केरंग सातों खिलल तितलियन केलौट आइल चहक, चिरइयन के! फिर बगइचन के मन, मोजरियाइलअउर फसलन के देह गदराइलबन हँसल नदिया के कछार हँसलदिन तनी, अउर तनी उजराइलकुनमुनाइल मिजाज मौसम केदिन फिरल खेत केम खरिहानन…

कविता - भोजपुरी मंथन - Page 14