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हमार चमक बनल रहेला / प्रमोद कुमार तिवारी

हमार चमक बनल रहेला / प्रमोद कुमार तिवारी

ई दुनिया भरसांय हहम बरतन हईंमाई लेवकन हियहर बार उहे जरे लेहमार चमक बनल रहेला प्रमोद कुमार तिवारी

हमहूं लूटीं तेहू लूट/ जगदीश खेतान जी

हमहूं लूटीं तेहू लूट/ जगदीश खेतान जी

adminSep 25, 20241 min read

हमहूं लूटीं तेहू लूट।दूनो पहिने मंहग सूट। उपर वाले के भी खियाव।अपने पीअ आ उनके पियाव।अईसे जो कईले जईब तरिश्ता हरदम रही अटूट।हमहूं लूटीं तेहू लूट। अंगरेजन के हवे सिखावल।आ हमनी के ई अपनावल।शासन अगर करे के बा तजनता मे…

हमहुँ सम्मानित होखब – मिर्जा खोंच

हमहुँ सम्मानित होखब – मिर्जा खोंच

adminSep 27, 20241 min read

कविता में हम छींकब सगरो कविता में हम खोंखबलाग रहल बा तब जाके हमहूँ सम्मानित होखब। हम का जानी साहित्य ह का, का होखेला ई भाषाबाकिर जे लिख के देदेना उ बन जाला परिभाषा। इन कर उनकर माल खपा के…

हमहुँ गाँवे रहतीं/ गणपति सिंह

हमहुँ गाँवे रहतीं/ गणपति सिंह

adminSep 24, 20241 min read

हमहुँ माटी के दीआ बनइती।दिअरी के दीआ जरवतीं।। खेत पटवती ,अलुई बोअतीकाश हमहुँ गाँवे रहतीं।। धुरा धकर फाँकत सहर मेंखाक में मिलल सपना बतवती।। सुनहला इयाद के अनुभवगाँवे सभे के हम सुनवती।। भोर में चिरई के आवाज सुनमुरली के हम धुन बजवतीं।। सतरंगी घाम में भोरे भोरेगीत गावत पोखरा में नहइती।। धुरा धुरा…

हमर आन, मान आ शान मधेश/ डॉ गोपाल ठाकुर

हमर आन, मान आ शान मधेश/ डॉ गोपाल ठाकुर

adminSep 30, 20241 min read

मधेश हमर आन बा मधेश हमर मान रेशान एकर उँचा रहे हमर इहे अरमान रे कोशी, गंडकी, कर्णाली, मेची से महाकालीचुरिआ से तराई ले रूप एकर निरालीथारू -बाजी- बौद्ध-हिंदू-सिख-मुसलमान रे ॥शान एकर० ॥ अन के भंडार बा जङल के हरियालीपुण्यभूमि…

हम तोहरा, तूँ हमरा मन में / अशोक द्विवेदी

हम तोहरा, तूँ हमरा मन में / अशोक द्विवेदी

जब देखीं भितरी दरपन मेंतूँ लउकेलऽ, हमरा जगहाहम तोहरा, तूँ हमरा मन में ! नीमन बाउर कुछ न बुझालारीझत खीझत मन अझुरालाहोके बेकल, खिंचि खिंचि जाईहम तोहरा लसोर चितवन में !हम तोहरा, तूँ हमरा मन में ! खोलत आँखि तहार सिरिजनातहरे सुमिरन, तहरे…

हम त शहर में गाँव के जिनिगी बिताइले /…

हम त शहर में गाँव के जिनिगी बिताइले /…

हम त शहर में गाँव के जिनिगी बिताइलेमनमीत जहँवाँ पाइले हहुआ के जाइले भाई भरत के भाव मन में राम रूप लासत्ता के लात मार के नाता निभाइले रीढ़गर कहीं झुकेला त सीमा साध केसुसभ्य जन के बीच हम बुरबक…

हम खोज रहल बानी / ब्रजभूषण मिश्र

हम खोज रहल बानी / ब्रजभूषण मिश्र

हम खोज रहल बानीकविता !भरल बा हमार पेट,आ पेन्हले बानी हमनयका कुरताबइठल बानी नयका कोठी में।बाकिर,कविता त सुखाइल,पेट-पीठ एक भइलआदमीजेकरा माथ परबजरत-ढहत आसमान बा,गोरतर खरकटल जमीन बाटे,के लगे बइठल बीआ। ब्रजभूषण मिश्र

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