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बसन्त फागुन / अशोक द्विवेदी

बसन्त फागुन / अशोक द्विवेदी

धुन से सुनगुन मिलल बा भँवरन केरंग सातों खिलल तितलियन केलौट आइल चहक, चिरइयन के! फिर बगइचन के मन, मोजरियाइलअउर फसलन के देह गदराइलबन हँसल नदिया के कछार हँसलदिन तनी, अउर तनी उजराइलकुनमुनाइल मिजाज मौसम केदिन फिरल खेत केम खरिहानन…

बसंत के नशा/ विवेक सिंह

बसंत के नशा/ विवेक सिंह

adminSep 25, 20241 min read

गजब के नशा छा गईल बा !ई बसंत जहीया से आगईल बा !! !! आपन-मन-अपने अगराईल !कबो बधार त कबो बगईचा घुम आईल !! !! कही फगुवा के ताल ठोकाईल बा !कही कोयल के राग सुनाईल बा !! !! मचलता…

बलिदानी वीर भूमि/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

बलिदानी वीर भूमि/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

adminOct 4, 20241 min read

जरासंध वीर जहाँ, रहले दलगीर जहाँ,बाटे राजगीर जहाँ, उहे बिहार हऽ । खुद भगवान जहाँ, लोहा गइले मान जहाँ,देख वीरता महान जहाँ, उहे बिहार ह5 | भीम गइले थाक जहाँ, कृष्ण दशा आँक जहाँ,कइले खर्ह दुई फाँक जहाँ, उहे बिहार…

बरम बाबा / केशव मोहन पाण्डेय

बरम बाबा / केशव मोहन पाण्डेय

खाली आस्था के छाँव ना हवेंजड़ के उदहारणना हवें खालीजल के चढ़ावा के आसन,हमरा गाँव के बरम बाबाहवेंऽसबके चिंता करे वालाप्रेम आ सेवा केनिष्ठा आ लोक-मंगल केराजा के सिंहासन।उनका बहियाँ के तलेटोला के सगरो लोग बइठेलासूपा से ओसउनी करतऔरतन के…

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बरदान तनिका दे द / कन्हैया लाल पण्डित

अलचार हो रहल मन वरदान तनिका दे द।थाकल शरीर जननी, अब जान तनिका दे द॥पहिले के शक्ति कहवाँ अब आज रह गइल बा।फेनू लगा के हाथ तूँ तूफान तनिका दे द॥पग अझुरा रहल बाटे आ नगिचा किनार के।खोलऽ पलक भवानी…

बदलाव / चंद्रदेव यादव

बदलाव / चंद्रदेव यादव

अजादी के बादमुआरी हो गइल गाँवहरित क्रांति के फुआर सेसुगबुगाइलपौ फाटलसब कर चेहरा हरियाइलबाकी येह बिकास के चकचोन्ही मेंबिला गइल समाज-भावरमी खेलत क भूल जालें लोगकि पड़ोस में गमी ह एक पीढ़ी के सड़एचल गइल रहट-ढेंकुलीदुसरी के सड़ए दोन-दउरीअ तिसरी…

बदरिया / मदन मोहन सिन्हा ‘मनुज’

बदरिया / मदन मोहन सिन्हा ‘मनुज’

अइले बदरिया कि अइले संवरियाका जाने कबसे अगोरेले गुजरिया । झूमत झामत चले कालेकाले हथियाखेलत लोटत गिरि उड़त अकसियाअँखुआ सुकोमल सलाज गोहरावेलेअइह हो अइह पियासलि धरतिया । । बिरही बिरहिया के बिसरल सुधियासूखि गइले उबचुब लोरवा तलइयाकविजी भुलाइ गइले भाव…

बदरा घुरि-घुरि आवे अँगनवा में – अभय कृष्ण त्रिपाठी…

बदरा घुरि-घुरि आवे अँगनवा में – अभय कृष्ण त्रिपाठी…

adminSep 26, 20241 min read

बदरा घुरि-घुरि आवे अँगनवाँ मेंनींद नाहि आवे भवनवाँ में।। मनके महल में सूधिया के पहराप्रीत के हिड़ोले बिरहल लहरा,दिल तार-तार होला सपनवाँ मेंनींद नाहि आवे भवनवाँ में।। आस के डरिया में आँख अझुराइलमोह से आपन लोरवा टकाइल,केहु लुक-छिप जाला परनवाँ…

कविता - भोजपुरी मंथन - Page 15