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देखत अँजोरिया/ डॉ॰ शारदा पाण्डेय

देखत अँजोरिया/ डॉ॰ शारदा पाण्डेय

adminOct 1, 20241 min read

देखत अँजोरिया, सेराइल रतियाहम का करों केकरा से का कहीं ? बहे पुरवइया झकोरेला फेड़वा,थमि यमि वहि जाला मन के सपनवा, मूदीले अँखिया, तवो ना रही ?हम का करीं….. … पानी में आगी, आगी में बहे पानीवाटे जइसे जिनिगी में…

दियना/ मदन मोहन सिन्हा ‘मनुज’

दियना/ मदन मोहन सिन्हा ‘मनुज’

अबहूँ अइले ना जड़वा से जोरनी गिरहियामनवा सुनुगेला करसिन अगिया जोन्हि बइरिन भइल, सउतिया चाननी, डाहे रतियागीत पनघट, पियासलि पिरितिया लोर ढरके ना दीहीं, कोर भरके ना दीहीं, राखी थतियाराखि होइ जहझें लहकलि अगिनिया नउजी आवS बलम बिसरावS जनम के…

दिनवा बीतल हो जाई – संत ताले राम

दिनवा बीतल हो जाई – संत ताले राम

ताले रामSep 27, 20241 min read

राम भजन करु भाई, दिनवा बीतल हो जाई।। टेक।। साव किहाँ दरब ले आएलो, सूद पर देली लगाई,सूदवा हान भेल एहि जग में, घरहुँ के मूढ़ गँवाई।। 1।। अएतन साहो कहब कछु काहो, रहबौ मन सकुचाईत्राहि त्राहि कहि गिरबों चरन…

दाल भात चली रात के…/ सुजीत सिंह

दाल भात चली रात के…/ सुजीत सिंह

adminSep 26, 20241 min read

माड़ो मटकोर गीत बेटी के बारात के,काथा पूजा होई दाल भात चली रात के। दुअरा पर भीरल हलुआई काम करताटे,रखल बा डराम लइका पानी ओमे भरताटे। जे बा से बेयस्त समय नइखे मुलाक़ात के,काथा पूजा होइ दाल भात चली रात के।…

दहेज/ तारकेश्वर राय

दहेज/ तारकेश्वर राय

adminSep 25, 20241 min read

बाप देखीं बेटा के, बोली लगवले बा |देवे वाला ख़ुशी से, गर्दन झुकवले बा ||मोल भाव होता, देखीं सपना के ||शान से बेचता, केहू अपना के || अरमान के होखता, खुला ब्यापार |नइखे पुछात, लईकी के बिचार ||दहेज के भूख…

दहेज क चलनिया/ तारकेश्वर राय

दहेज क चलनिया/ तारकेश्वर राय

adminSep 25, 20242 min read

देखीं बदल गईल, सभकर चलनियाबदल गईल गांव शहर मालिक मलकिनियाबदल गइले गुरु चेला, घर दुवार अउरी चोहनीआडहर त बदली गईल, बदलल मुहनिया ना बदलल त एके बात, दहेज़ के चलानियाबढ़ते जात बा, चाहे अजोर हो चाहे अन्हरियाएके कोख से जनमेला, बेटा…

दल बदलू नेता/ संदीप कुमार

दल बदलू नेता/ संदीप कुमार

adminSep 25, 20241 min read

नेता जी के पेट हs की लमहर खेतइनकर एगो दल से काम ना चलेदोसरा दल में ना जिईहन, ना भरी कहियो इनकर पेट!१ इकरा जन-जनता से का मतलब बाइंकरा तs कुर्सी सत्ता से अब मतलब बाविकास के काम अब ठप हो ही रहल बा!२…

दरसन बिना छछनत लोचनवा/ स्व रामजी सिंह (मुखिया)

दरसन बिना छछनत लोचनवा/ स्व रामजी सिंह (मुखिया)

adminOct 1, 20241 min read

दरसन बिना छछनत लोचनवा,मोहले बा मन मोहन मधुरी मुसकनवा | दरसन बिना.. देखि के तोहार रूप, छाती भइल भरि सूप,इहे मन करेला बतिअइतीं अंगनवा | दरसन बिना… प्रीति कइल कुबजा से, गड़हा में डूब जाके,पढ़ल गुनल होके निपटे नादानावा |…

कविता - भोजपुरी मंथन - Page 21