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शरद / कमला प्रसाद मिश्र ‘विप्र’

शरद / कमला प्रसाद मिश्र ‘विप्र’

बितल बरसतिया सरद सुभ आइल।डमकि-डमकि रोइ बदरा चुपाइलकदम का डाढ़ि फुलगेनवा गंथाइलपाकल केस, कास-कुसवा बुढ़ाइल।बितल बरसतिया सरद सुभ आइल।।उपरा अगस्त उगल जल फरिआइलहेठवाँ के घाम देखि पाँक सकुचाइलउतरि गइल खंड़लीच झिंगुर चुपाइल।बितल बरसतिया सरद सुभ आइल।।राह आ घाट छेंकल छोड़लस…

शब्द के कथा – प्रिंस रितुराज दुबे

शब्द के कथा – प्रिंस रितुराज दुबे

adminSep 27, 20241 min read

शब्द के चलऽ कथा सुने आ बुझल जव केतन बा बलशब्दे जिनगी के माने हऽ, शब्दे ह जिनगी कऽ ज्ञानशब्दे से ह आत्मा, शब्दे ह परमधामशब्दे से बुझगर बुझाल, शब्द से बुझाए अनुशासनशब्द से मानुस के आचरण बुझाला, शब्दे से…

शत-शत नमन/विजय मिश्र 

शत-शत नमन/विजय मिश्र 

adminOct 4, 20241 min read

मानव जीवनस्वस्थ सुन्दर तनप्रभु के वरदानअनघा अवदाननाथ! बन्दन बार बारकरी स्वीकारभगवन!शत-शत नमन !!का चाहीं अबसोना न चानीना अउर धनचाहीं त बस,निर्मल मन !होखे-प्रीति रीतिरचना कलासम भावनम्र बेवहारसुविचारप्रभु ! बन्दन बार बारकरी स्वीकारभगवन!शत-शत नमन !! adminbhojpurimanthan.com/

वृत्त वाला खेत / केशव मोहन पाण्डेय

वृत्त वाला खेत / केशव मोहन पाण्डेय

सबसे उपजाऊँसबसे सयगरटोला के उत्तरगंडक के कछार मेंदूर-दूर ले विस्तारित बावृत्त वाला खेत केचैकसलहलहात स्वरुप।सभे मन से जुट जालाएके जोते, कोड़े, बोये मेंएकर विस्तारकबो मनई विहीन ना रहेलाकेहू ना केहूकवनो ना कवनोडँड़ार के बीचेलउकीए जालाकुछु सोहतकुछु बोअतअसरा के चादर ओढलेउम्मीद…

विपदा से हमरा के – रवीन्द्रनाथ टैगोर

विपदा से हमरा के – रवीन्द्रनाथ टैगोर

adminSep 27, 20241 min read

विपदा से हमरा केहरदम बचाव ऽ हरिई ना बाटे मिनती हमारजब जहाँ विपदा सेसामना जे होखे प्रभुहम नाही होईं भयभीतनिडर बनाव हरि हमरा के अतना किगाई हम विपदो में गीतदुखित व्यथित मन केधीरज धरावे खातिरचाही नाहीं संत्वना के भीखदुःख पर…

विनाश के कगार पर/  राधा मोहन राधेश

विनाश के कगार पर/  राधा मोहन राधेश

adminOct 1, 20241 min read

देश बा पहुंच गइल विनाश के कगार पर,विवेक बा मरा गइल संहार के दुआर पर,खोदके, खरोंचके, काल के जगा रहलफण उठाके बिख-नाग देश के नचा रहल,काल के मुहांन पर मदांध आँख बन्द आजयुग – विकास रुक चलल बिहान के दुआर…

विदाई/ सौरभ भोजपुरिया

विदाई/ सौरभ भोजपुरिया

adminSep 25, 20241 min read

आँख से दूर भले तू हमरा दिल से कहाँ जइबूहर सांस में अपना मोहे दिल के अंदर पईबूजइसे गलेला मोम हो अन्हरिया के बिदाई मेंवइसे लोर के मोती गिरेला तहरा जुदाई मेंतू मोर आंगन से दूर पर मन के दिवार में रहबूबन…

लोर/ डॉ॰ राम सेवक ‘विकल’

लोर/ डॉ॰ राम सेवक ‘विकल’

adminOct 1, 20241 min read

बहेला नयनवाँ से लोर, दरद उठे मोर,कि पिया मोरे आ जा ना ।मँह मँह मँहकेला बाग-बगइचा,भँवरा करेला गुंजार,भँवरा भँवरिया की मस्ती में मातल,लूटे तितिलिया बहार ।आइल जिनगिया में भोर, जवनियाँ में जोर,कि पिया मोरे आ जा ना ।चारू ओर छाइल…

कविता - भोजपुरी मंथन - Page 6