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भोजपुरी लाठी से / गुलाबचंद सिंह ‘आभास’

भोजपुरी लाठी से / गुलाबचंद सिंह ‘आभास’

1सजनि कहेले पिया भारी उत्पाती हऊथामऽ तू बनूक, ना उठऽ, मोरा खाटी सेससुई कहेले “बहु” हमके देखादऽ नामुहवाँ झोकार देब, बरते लुकाठी से”बबुआ कहेला “माई हमके बतादे नाफार देव पीठ हम फरगाठी से”कहेला जवान सभे मूँछन पर हाथ फेरि“मारब छितरा…

बाँट-बखरा में सुख-दुख बँटा गइल बा / पी.चंद्रविनोद

बाँट-बखरा में सुख-दुख बँटा गइल बा / पी.चंद्रविनोद

बाँट-बखरा में सुख-दुख बँटा गइल बा,अपना माटी के खूशबू लुटा गइल बा घुप अन्हरिया के जादू चढ़ल माथ पर,चाँदनी उनका घर में छिंटा गइल बा बिन बदरियों इहाँ पर ना आवेला घाम,के दो सूरुज के चुपके लुका गइल बा मोर…

फेर हवाबाज़ आ गइल बादर / आसिफ रोहतासवी

फेर हवाबाज़ आ गइल बादर / आसिफ रोहतासवी

फेर हवाबाज़ आ गइल बादर ,सिर्फ शहरे प छा गइल बादर। रह गइल चुरुआ लगवले मडई,छत के पानी पिया गइल बादर । भेख बहुरुपिया नियन बदले,खूब बुरबक बना गइल बादर । नाहि बरसे के तनिक बा हबखबखेत लहलस डूबा गइल…

ना आइल

ना आइल

ठकुरसुहाती अबले भइया, हमरा गावे ना आइल ।खुद कबहूँ, हंसनी ना त, दोसरो के हँसावे ना आइल।। सोचते रहि गइनी,जिनिगी के,रस से सराबोर कई दीं ।हो गइनी नीरस काहें, अतनो त बतावे ना आइल ।। कई बेरि सोचनीं, कि चोटी,…

नजरिया के बतिया नजरिया से कहि द / दिनेश…

नजरिया के बतिया नजरिया से कहि द / दिनेश…

adminSep 22, 20241 min read

नजरिया के बतिया नजरिया से कहि दना चमके सोनहुला किरनिया से कहि द नयन में सवनवाँ बनल बाटे पाहुनसनेसवा जमुनिया बदरिया से कहि द लिलारे चनरमा के टिकुली बा चमचमलुका जाय कतहूँ अन्हरिया से कहि द न आवेले सब दिन…

देखत मौत के अब लजाइल का बानी / नागेन्द्र…

देखत मौत के अब लजाइल का बानी / नागेन्द्र…

देखत मौत के अब लजाइल का बानीजो जाहीं के बा, त तवाइल का बानी करे के रहे जे, ऊ सब हो गइल बाकिनाने चहुँप के छछाइल का बानी बहुत दूर उड़लीं अकासे-पतालेकरीं थिर मन के हहाइल का बानी बहुत दिन…

तोहरा मन पड़ते मनवा मगन हो गइल / गुलरेज़…

तोहरा मन पड़ते मनवा मगन हो गइल / गुलरेज़…

तोहरा मन पड़ते मनवा मगन हो गइलकारी रतिया सोहागिन नियन हो गइल आरती के बरल दीप लागेलू तूतोहरा देखि के पावन नयन हो गइल बिना मतलब के कतहूँ निहारत रहेरूप में रब निहारत ई मन हो गइल रूप पानी में…

चनवाँ त उहे/ डॉ इकबाल

चनवाँ त उहे/ डॉ इकबाल

adminSep 30, 20241 min read

पूछेले पुतरिया पुतरी से अंखिया के रोशनियाँ का भइल ।चनवाँ त उहे चनवाँ बाटे, चनवाँ कऽ चंदनिया का भइल ।हम रोज रटी दादी-दादी, दादी क रोज बखान करीं ।दादी क अँचरवा पूछता, बबुनी क ओढ़नियाँ क भाइल ।।चनवाँ त उहे……..

गज़ल - भोजपुरी मंथन - Page 2