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विनाश के कगार पर/  राधा मोहन राधेश

विनाश के कगार पर/  राधा मोहन राधेश

adminOct 1, 20241 min read

देश बा पहुंच गइल विनाश के कगार पर,विवेक बा मरा गइल संहार के दुआर पर,खोदके, खरोंचके, काल के जगा रहलफण उठाके बिख-नाग देश के नचा रहल,काल के मुहांन पर मदांध आँख बन्द आजयुग – विकास रुक चलल बिहान के दुआर…

वन्दना/ रामबहादुर ‘अधीर पिंडवी’ 

वन्दना/ रामबहादुर ‘अधीर पिंडवी’ 

adminSep 30, 20241 min read

तनी सुनि लीं अरजिया हमार हो,हमरी मइया सारदा ।रउवां जिनगी के हमरी अधार हो,हमरी मइया सारदा ।। हंस के सवारी राउर धवल चुनरिया |अंगुरी में शोभेला माणिक मुनरिया ।।शोभे हथवा में रउरी सितार हो,हमरी मइया सारदा । तनी …… Il…

लोर/ डॉ॰ राम सेवक ‘विकल’

लोर/ डॉ॰ राम सेवक ‘विकल’

adminOct 1, 20241 min read

बहेला नयनवाँ से लोर, दरद उठे मोर,कि पिया मोरे आ जा ना ।मँह मँह मँहकेला बाग-बगइचा,भँवरा करेला गुंजार,भँवरा भँवरिया की मस्ती में मातल,लूटे तितिलिया बहार ।आइल जिनगिया में भोर, जवनियाँ में जोर,कि पिया मोरे आ जा ना ।चारू ओर छाइल…

लोक सुदर्शन संधान/  राधा मोहन राधेश

लोक सुदर्शन संधान/  राधा मोहन राधेश

adminOct 1, 20241 min read

भोर भइल बापू सपना के, भागल भूत अन्हारसूतल सुगना ताके लागल, फड़कलपाँख पुरान ।पिजड़ा के पीड़ाइल चिरई, कबहुं सुछंद उड़ जालेबंदी देहिया तपल साधक के बान्हल ना मन माने,चित्त चेतना हिया-राह के सभकर भीतर के जानसूतल सुगना ताके लागल, फड़कल…

लूट लेलस सोनवाँ के साँझ / दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह…

लूट लेलस सोनवाँ के साँझ / दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह…

लउकता पहाड़ जइसे सूतल हो इअदिया।आन्हर अजगर अस दिसो गुमसम बिआ।।धुँआ में सनाइल आदित थोरिके ऊपरवाँ।छीजत आवे नीचे जइसे मन के सपनवाँ।।गते-गते सिखरा प सुरूज उतरले।मलिन मुखवे ताकत मोके नीचे मुँहें चलले।।तनी-सा छितिजवा प लउकतिया भइया।विरही के जामल रकत के…

लुटा दिहल परान जे / प्रसिद्ध नारायण सिंह

लुटा दिहल परान जे / प्रसिद्ध नारायण सिंह

लुटा दिहल परान जे, मिटा दिहल निसान जे।चढ़ा के सीस देस के, बना दिहल महान जे।।जने-जने जगा गइल, नया नसा पिला गइल।जला-जला सरीर के, स्वदेस जगमगा गइल।। पहाड़ तोड़ि-तोड़ि के, नदी के धारि मोड़ि के।सुघर डहरि बना गइल, जे काँट-कूँस…

लइका बूढ़ के झगरा / गुलाबचंद सिंह ‘आभास’

लइका बूढ़ के झगरा / गुलाबचंद सिंह ‘आभास’

बम्बेमेल, देहरादून, हमहूँ तूफान रहींए बाबू! सुन ऽ हो हमहूँ जवान रहींफुटुर फुटुर कबे ले, हाँकत तू का बाड़ही ही ही ही कबे ले, झाँकत तू का बाड़नया सौखीन हउवऽ, बुझीला मजे मेंकेतना जियान तुहुँ कइले बाड़ऽ सजे मेंताल देहल…

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राष्ट्रगीत / पाण्डेय कपिल

सृष्टि में स्वर्ग जो अगर बाटेदेश भारत हमार घर बाटेछांह एकर बा हिमालय पर्वतबाड़ बाड़ब के त लहर बाटे। फूल फल पेड़ अउर पौधा सेलहलहाइल इहाँ के डर बाटेबन-खनिज-सम्पदा भरल-पूरलरत्नगर्भा इहाँ के जर बाटे। मोर पर खोल इहाँ नाचेलाइहाँ कुहूँकट…

गीत - भोजपुरी मंथन - Page 2