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बेंच दिहले बाबूजी हमर गोयड़ा घराड़ी/ रामप्रसाद साह

बेंच दिहले बाबूजी हमर गोयड़ा घराड़ी/ रामप्रसाद साह

adminOct 1, 20241 min read

बेंच दिहले बाबूजी हमर गोयड़ा घराड़ीनगद मांगे बेटाहा लड़की बाटे कुंवारी ले ले बाटे नगदी तावातोड़ फरमाइसघोड़ा चढी बेटवा अपने रही साइसउनइस बीस मानी ना तेरह बाइसबेटा बेंचुवा लोग के बड़ी बड़ी खोवाइसदू दर्जन गाड़ी आई साटा बा तइयारीबेंच दिहले——–…

बीत गइल मधुमास सुहावन / गणेश दत्त ‘किरण’

बीत गइल मधुमास सुहावन / गणेश दत्त ‘किरण’

बीत गइल मधुमास सुहावन, साँस-साँस में बिथा समाइल ;अब बतलाव अइल हा तू, केकर माँग सँवारे हो ? कतना फागुन गइल, सूल से भरल बदरिया लहराइल नाकतना कदम अपात भइल, भिनुसार बँसुरिया लहराइल नाकतना सुख के सेज फूल से सजा-सजा के गइल…

बाँसुरी मन के रोवे गजवला बिना / ब्रजकिशोर दूबे

बाँसुरी मन के रोवे गजवला बिना / ब्रजकिशोर दूबे

बाँसुरी मन के रोवे गजवला बिना।गीत लोर हो गइल सब सुनवला बिना।।आँगन में साधन के दियना बराइलअसरा के बाजी प जिनिगी धराइलफूल कुम्हिला गइल सब चढ़वला बिना। बाँसुरी….. ललसा के लत्तर बराबर फुलाइललाखन बे-सरधा के गंगा फफाइलनेह-बिरवा सुखाइल पटवला बिना।…

बाँसुरी / बैद्यनाथ पाण्डेय ‘कोमल’

बाँसुरी / बैद्यनाथ पाण्डेय ‘कोमल’

रतिया अंजोरिया नदी के कगरिया,बाँसुरी बजल रसवारी।साँय-साँय बोलि डोले पुरवा पवनवाँ,रहि-रहि मन मोहे मीठी-मीठी तनवाँ,नदिया के धरवा प चाननी छहरले,झुरू-झुरू बोले फुलवारी।बाँसुरी बजल रसवारी।निरमल जल ढले पल-पल कल-कल,बीचवा में बिछिलत चमक लगत भल,छलकत बून्दवा में मोतिया जड़ल लागे,मुखरल घर-पिछुवारी।बाँसुरी बजल…

बसन्त / चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’

बसन्त / चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’

adminSep 20, 20241 min read

आइल मस्त महीना सजनी, धरती पर मुस्कान रे।।झुकल आम के डाढ़ि बौर से, भीतर कोइली बोललसाँझ समीरन बहल मस्त हो, बिरहिनि के मन डोललमहुआ के डाढ़ी पर उतरल, हारिल लेइ जमात रे।। आइल….. लाल सुनर पतई पेड़न के फुलुंगी पर…

बलिदानी कुंवर सिंह / भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ‘भानु’

बलिदानी कुंवर सिंह / भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ‘भानु’

रन से बन ले अमर गगन में,गुंजत इहे कहानी बा।एह सुराज के ताज पहिलका,कुंवर सिंह बलिदानी बा।जेकर बलि बिरथा ना भारत,माई फिर महरानी बा।रंग तिरंगा बीच केशरिया,लहरत अमर निशानी बा।लहू लेपले लाल सुरूज ई,ढ़ाल जेकर मरदानी बा।जेकरा जस के हँस-…

बरखा के दिन / बच्चन पाठक ‘सलिल’

बरखा के दिन / बच्चन पाठक ‘सलिल’

बरखा के रिमझिम फुहार, अंग-अंग सहला गइलबकुलन के उज्जर कतार, तन-मन बहला गइल।पर्वत पर रूई के मेघ,सुनेले यक्षी-संदेश ;धीरे से पुरवैया मीत,छुएले गोरी के केश।अमृत भरल जल-धार, धानन के नहला गइल।नदियन के आइल उठान,कदराइल झीलन के देह ;बोरो जे उगल अकास,देखि रहल…

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फन कढ़ले पुरवइया / कुमार विरल

कुमार विरलSep 19, 20241 min read

फन कढ़ले पुरवइया डोले फागुन साँप भइल।छनके लागल प्रान कि उलटा साँस भइल।।गाँव-नगरिया बाग-बगइचा सगरो लहर समाइल,ओठवा से मधुआ रस टपके भितरी जहर घोराइल,सरधा के कोमल पतइन के हियरा काँप गइल। फन…. फूलन के बेमार देख के भँवरा भिनके लागलतितिकी…

गीत - भोजपुरी मंथन - Page 3