हे मन रामनाम चित धौबे।।काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे।गुरु परताप साधु के संगति नाम पदारथ रुचि से खौबे।।सुरति निरति अंतर लव लावे अनहद नाद गगन घर जौबे।रमता राम-सकल घर व्यापक नाम अनन्त एक ठहरौबे।।तहाँ गये…
हम सत्त नाम के बैपारी।कोइ-कोइ लादै काँसा पीतल, कोइ-कोइ लौंग सुपारी॥हम तो लाद्यो नाम धनी को, पूरन खेप हमारी॥पूँजी न टूटै नफा चौगुना, बनिज किया हम भारी॥हाट जगाती रोक न सकिहै, निर्भय गैल हमारी॥मोती बूँद घटहिं में उपजै, सुकिरत भरत…
मोहि न भावै नैहरवा ससुरबा जइबों हो।।नैहर के लोगवा बड़ अरिआर। पिया के बचन सुनि लागेला बिकार।।पिया एक डोलिया दिहल भेजाय। पाँच पचीस तेहि लागेला कहाँर।।नैहरा में सुख दुख सहलों बहुत। सासुर में सुनलों खसम मजगूत।।नैहर में बारी भोली ससुरा…
मन न रँगाये रँगाये जोगी कपड़ा।। टेक।।आसन मारि मंदिर में बैठे, नाम छाड़ि पूजन लागे पथरा।। 1।।कनवां फड़ाय जोगी जटवा बढ़ौले, दाढ़ी बढ़ाय जोगी होइ गैले बकरा।। 2।।जंगल जाय जोगी धुनिया रमौले, काम जराय जोगी होइ गैलै हिजरा।। 3।।मथवा मुड़ाय…
मन तू काहे ना करे रजपूती।असहीं काल घेरि मारत ह जस पिजरा के तूती।पाँच पचीस तीनों दल ठाड़े इन संग सैन बहुती।रंगमहल पर अनहद बाजे काहें गइलऽ तू सूती।शिवनारायन चढ़ मैदाने मोह भरम गइल छूटी। adminbhojpurimanthan.com/
मन अनुरागल हो सखिया।।नाहीं संगत और सौ ठक-ठक, अलख कौन बिधि लखियाजन्म मरन अति कष्ट करम कहैं, बहुत कहाँ लगि झँखिया।।बिनु हरि भजन को भेष लियो कहँ, दिये तिलक सिर तखियाआतमराम सरूप जाने बिन, होहु दूध के मखिया।।सतगुरु सब्दहिं साँचि…
भुला गइल मनवा जान के।।मत-गरभ में भगती कबूलल, इहाँ सुतल बाड़ तान के।।एही कायागढ़ में पाँच गो सुहागिन, पाँचों सुतल बा एको नाहिं जाग के।।क्हे भगती दास कर जोरी, एक दिन जमुआ लेइ जाई बान्ह के।। भगती दास
भव सागर गुरु कठिन अगम हो, कौन विधि उतरब पार होअसी कोस रुन्हें बन काँटा, असी कोस अन्हार होअसी कोस बहे नदी बैतरनी, लहर उठेला धुंधकार होनइहर रहलों पिता संग भुकुरी नाहिं मातु धुमिलाना होखात खेलत सुधि भूलि गइली सजनी,…