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हरसिंगार / बैद्यनाथ पाण्डेय ‘कोमल’

हरसिंगार / बैद्यनाथ पाण्डेय ‘कोमल’

हरसिंगार के सिंगार में जगल बहार बा।डार-डार पात-पात में जगल दुलार बा।देख के सिंगार सबबिहँस रहल अकाश बा।हाव-भाव देख केजिया भरल हुलास बा।सिहर-सिहर सिहा रहल चिहा रहल बयार बा।झूमि-झूमि डाल-डालमौन गीत गा रहल।सपना के बात आजसाँचि बनि के आ रहल।कल्पना…

हथेली पर जान हऽ / गुलाबचंद सिंह ‘आभास’

हथेली पर जान हऽ / गुलाबचंद सिंह ‘आभास’

1देश इ प्रताप के हऽ, शिवा सुभाष के हऽबापों के बाप के हमार हिन्दुस्तान हऽलाल बाल पाल के हऽ, मगध बंगाल के हऽमेरठ मेवाड़ के हऽ, जहाँ राजस्थान हऽ।देश ह हमीद के, शेर खाँ फरीद केमन्दिर मस्जिद के, शहीदन के…

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सृजन गीत / उमाकान्त वर्मा

याद झरत अँजुरी में,गंध भरल अँगुरी में,पोर-पोर सपना कोंचिआइलटहनी के टूसवा टुसिआइल।नदिया के घाटी में लहरा बाताल देत छनद बड़ा गहरा बाअर्थ भरल रात गइराइलटहनी के टुसवा टुसिआइल।बहक रहल मधुआइल छहियाँ बा,सहक रहल बउराइल बँहिया बा,काँपत बा बिजुरी अगुताइल,टहनी के…

सुराज (एक) / जगदीश ओझा ‘सुन्दर’

सुराज (एक) / जगदीश ओझा ‘सुन्दर’

सगरी बिपतिया के गाड़ भइलि जिनिगी।नदी भइल नैना पहाड़ भइलि जिनिगी। आग जरे मनवा मेंधधकेले सँसियाअसरा में धुआँ उठेप्रान चढ़ल फँसियादेहि के जरौना बा भाड़ भइलि जिनिगी।नदी भइल नैना पहाड़ भइलि जिनिगी। केहू माँगे घूस, केहू-माँगे नजरानाकेहू माँगे सूदि मूरिकेहू…

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साधना / आचार्य श्रद्धानन्द अवधूत

साधना कइला से मन में ही होलानाहीं त ऊ बड़ा मोट बनि जाला। मेंही भइला से मन व्यापक होलादूर-दूर के सभ बात ऊ देखेला। देखला से समझ-बूझ के पैर धरेलाएसे कबहीं ऊ ना गिरेला। केहू ना ओकरा पर थपरी बजावेलाइज्जत…

सागर से भेंट/ डॉ॰ शारदा पाण्डेय

सागर से भेंट/ डॉ॰ शारदा पाण्डेय

adminOct 1, 20241 min read

सुख तबले बाँझं रही,जब ले दुःख से बतिआई ना ।जगि त ईहे ह किजमुना के धार, गंगा में समाईतवे ओकरा के सागर भेंटाई ॥ adminbhojpurimanthan.com/

शराब/ हीरा प्रसाद ठाकुर

शराब/ हीरा प्रसाद ठाकुर

adminOct 1, 20241 min read

पीके शराब संइया भइल खराबपंईया केतना परींअतना समुझवनी तोहरा कइलस जुलाबपंईया केतना परीं । अतना –बाबू के थाती बेचिके भइलऽ नबाबपंईया केतना परींसोना अस बुतुरू के तू कइलs कबाबपंईया केतना परीं । सोना – सोना के सोहगल सेजिया कइलs उजारपंईया…

वियोग में जेठवा बितावेले धनि,/ रामप्रसाद साह

वियोग में जेठवा बितावेले धनि,/ रामप्रसाद साह

adminOct 1, 20241 min read

वियोग में जेठवा बितावेले धनि,राहत बनवा बँचावे |जब ही पपिहरा बोलिया के तान मारेमनवा ओकर भरमावे || अमवा के डाली सेनुरिया जे पाकललाली ओठवा तरसावे ।अब की बेहतर ना होखे सवनवासगुनवा गोरी मनावे || हरियर चुनरी पर छाप बकुलन केमन…

रामप्रसाद साह - भोजपुरी मंथन