बुद्धि न केहू के काम करे,सब सोच में डूबल बा उतराइल.हाँकत जे दिन-राति रहे,मुँह से उनका कुछऊ न कहाइल.राम के काम में जानि रुकावटवानर भालु सभे अउँजाइल.ओही में केहू का मारुत-नन्दनके बल-पौरुष के सुधि आइल.
हारि के वानर सिन्धु कछारबिचारेले के अब प्रान बचाई?फानि पयोनिधि के दस कन्धरके नगरी, जियते चलि जाई?राक्षस के पहरा दिन-रातिसिया के सुराग कहाँ लगि पाई?जो न पता लगिहें त सखासुग्रीव से बोलऽ ना का जा कहाई?
अइसन करनी केकर होखी बहुत विचरलीं,आइना देखवते जानवर ना इन्सान के पईलीं ई हम कुछुओ लेके ना जाएब ई सबही गावत बा,आपन जेब भरे खातिर दुसर जेब ही भावत बा,अपना करनी से जानवर के भी सरमावत बा,अपना जननी के सबका…
आईल बाटे फिर से बाबा शिवरात्रि के त्यौहार,भोले बाबा सुनी लिह बिनती हमार,मत दीह केहु के भी कवनो उपहार,भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा हमार II पापियन के नाश के महिमा सुनाईले,भस्मासुर के लीला भी भूले ना भुलाईले,भरल बाटे एही…
खेतवा- बधारावा लहसेला ,हरसेला हियरवा .अंगना में बरसेला रंगवा,दुआरा पे बाजेला मजिरावा .कि आरे सारा रा रा उडेला रे मनवा,दुधवा में भंगवा घोराइल.