बुद्धि न केहू के काम करे,सब सोच में डूबल बा उतराइल.हाँकत जे दिन-राति रहे,मुँह से उनका कुछऊ न कहाइल.राम के काम में जानि रुकावटवानर भालु सभे अउँजाइल.ओही में केहू का मारुत-नन्दनके बल-पौरुष के सुधि आइल.
हारि के वानर सिन्धु कछारबिचारेले के अब प्रान बचाई?फानि पयोनिधि के दस कन्धरके नगरी, जियते चलि जाई?राक्षस के पहरा दिन-रातिसिया के सुराग कहाँ लगि पाई?जो न पता लगिहें त सखासुग्रीव से बोलऽ ना का जा कहाई?