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माइयो के बोलवले आई / बृजमोहन प्रसाद ‘अनारी’

माइयो के बोलवले आई / बृजमोहन प्रसाद ‘अनारी’

adminOct 4, 20241 min read

पीयर जनेउवा वालाऽ, पीयरे खंरउवाँ वालाऽ,आरे बाबा हथिया के सूढ़ लटकवले आई.माइयो के बोलवले आई………. दाँये शुभऽ बाँये लाभऽ, आगे रिधि पाछे सिधि,आरे बाबा शुभ के सनेश भेजववले आई,बाबूओ के लिअवले आई………. फलऽ मोतीचूर खातऽ, पान खाके मुसुकातऽआरे बाबा मुसवा…

मन तुम कसन करहु रजपूती/ धरनीदास

मन तुम कसन करहु रजपूती/ धरनीदास

धरनीदासSep 26, 20241 min read

मन तुम कसन करहु रजपूती। गगन नगारा बाजु गहागहि, काहे रहो तुम सूती।पांच पचीस तीन दल ठाढ़ो, इन सँग सैन बहूती। अब तोहि घेरी मारन चाहत, जब पिंजरा मँह तूती।पइहो राज समाज अमर पद, ह्वै रहु विमल विभूति।धरनी दास विचारि…

मन के मुनरवा/ निर्भय नीर

मन के मुनरवा/ निर्भय नीर

adminSep 24, 20241 min read

हमरा मन के मुनरवा हेरा गइले हो।झटके में हियरा दुखा गइले हो।हमरा मन के मुनरवा हेरा गइले हो। जिनिगी के पोसल-पालल, सउँसी सपनवा।टिसुना के बगिया में, फरेला फरेनवा।बिना फल देले भहरा गइले हो।हमरा मन के मुनरवा हेरा गइले हो।। अबगे…

मतलब तोहरो से कुछू निकलत होई/ राजीव उपाध्याय

मतलब तोहरो से कुछू निकलत होई/ राजीव उपाध्याय

adminSep 27, 20241 min read

मन-मन सोचि-सोची काँहे मुसका लऽकेहू ना केहू सूनले तऽ होई।बात जेवन तूँ कहब केहू सेकेहू ना केहू कहले तऽ होई॥ कुछू नाही बावे तोहसे इहाँतोहरे से सभ कुछ, सभका से तूँ।इहे बावे रीत-मीत सगरे इहाँकेहू ना केहू मिलले तऽ होई॥…

मत लs तूं जान हमार – मृत्युंजय अश्रुज

मत लs तूं जान हमार – मृत्युंजय अश्रुज

adminSep 27, 20241 min read

सुनs सुनs माई बाबा करीले बिनीतियाजनी लs तूं जान हमारबेटा का बदले बेटी बनवले रामका बाटे दोष हमार। अबही त बानी हम मांस के लोदाकइनी कवन क्षति तोहारमाई तs होली ममता के मूरतगोदिया में स्वर्ग तोहारबाबा का बाहीं झूला में…

मत अगराईं – कवीन्द्र नाथ पाण्डेय

मत अगराईं – कवीन्द्र नाथ पाण्डेय

adminSep 26, 20241 min read

जरत जीनगी केभला अंजोर कइसनपुअरा के आगजाड़ा के भोर जइसन। मत अगराईंदूज के चांद देखिकेगरहन छीनेला पुनवासी केअंजोर कइसन। दहकत दिन के दुपहरियानिमन ना लागेमनवा साध के बचाइंकछुआ गमखोर जइसन। बुद्धि बांटेले कविन्द्रदोसरा लोगवा के।आपन बेरिया दशा होलामतिभोर अइसन। adminbhojpurimanthan.com/

मछरी / ब्रजभूषण मिश्र

मछरी / ब्रजभूषण मिश्र

कतना आसान बाकेहू के हँसी आ मुसुकी केनाप लिहल।बाकिर गम के अथोर-अथाहगहराई,जवना के ओर-छोरपता ना चले ;के नाप सकेला, के नापे चाहेला ?जीयला के चाहेजतना खुशी मना लींकतना बेर मर चुकल बा मनई।सभे आपन-आपन अलापत बाएही से अइसन हालत बा।लय-ताल मिलत नइखे,प्राण…

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल – गणेश…

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल – गणेश…

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल, धीरे-धीरे हमरा मन के कमल फुलाए लागल। कतना दिन पर उनुका के भर नजर निहारत बानी,का जाने काहे दो देखत नैन जुड़ाए लागल। रसिया भौंरा उतरी कइसे मन का गहराई में,कउड़ी का कीमत…

कविता - भोजपुरी मंथन - Page 10