Post List #2

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल – गणेश…

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल – गणेश…

भोरे भोरे सूरज आके जब मुस्काये लागल, धीरे-धीरे हमरा मन के कमल फुलाए लागल। कतना दिन पर उनुका के भर नजर निहारत बानी,का जाने काहे दो देखत नैन जुड़ाए लागल। रसिया भौंरा उतरी कइसे मन का गहराई में,कउड़ी का कीमत…

भोर / निलय उपाध्याय

भोर / निलय उपाध्याय

सरग के पार नदी मेंछप-छपनहातिया एगो मेहरारू सोना के थरिया में अछत-दूब लेकेपुरइन के पतई प खाड़ होईखाड़ होईमहावर से रचल पाँव घूघ हटाई आ राँभे लागी गायघूघ हटाईआ नाद प दउर जइहें बैल झाड़ू उठाईझक-झक साफ करी घरचूड़ी बजाई……

भोजपुरी भासा हऽ माई के/ डाॅ. पवन कुमार

भोजपुरी भासा हऽ माई के/ डाॅ. पवन कुमार

adminSep 26, 20241 min read

भोजपुरी भासा हऽ माई केदूध हऽ बकरी के गाई (गाय)केलाठी हऽ बाबू के भाई केझोरी हऽ बाबा के दाई के । दूध के ई छाली हऽ खखोरी हऽबउआ के खीर के कटोरी हऽदही हऽ घीव हऽ डार् ही हऽमही हऽ छेना के थारी…

भोजपुरी के मान्यता देईं ए सरकार ! / राम…

भोजपुरी के मान्यता देईं ए सरकार ! / राम…

adminOct 1, 20241 min read

हमनी के देश में गांव के गढ़ कहल गईल बा आ हमनी के ओरीत भाषा भोजपुरी में ही सब लोग कुछवू कहेला … भारत में पांच करोड़ आसमूचा संसार में सोरह करोड़ भोजपुरी बोलेवाला बानींजा… आजादी केअमृत महोत्सव भी मना…

भोजपुरी के अपनावल सीखा / राम बहादुर राय

भोजपुरी के अपनावल सीखा / राम बहादुर राय

adminOct 1, 20241 min read

झूठहीं सपना देखावल छोड़ाधरती गगन लिखावल छोड़ा। अहंकार से भरले बाड़ा बबुआहमके अउर सीखावल छोड़ा। हमनी के भाषा भोजपुरी हवेएकरा के तूहूं अपनावल सीखा। हर जगह मोह माया भरल बाटेअंग्रेजी के माया से उपर होखा । अब तक जवन कईला…

भोजपुरी कविता बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल…

भोजपुरी कविता बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल…

adminSep 25, 20241 min read

हमरा मनवाँ के मांगल मुराद मिलल बादिल के गमला में हमरा गुलाब खिलल बा I हमरा धड़कन के जेतना सवाल रहन सनओह सवालन के सुन्दर जबाब मिलल बा I हमरा नयनन के दरपन में चाँद आ बसलहमरा होंठन के सरगम…

भावी बहू/ शीतल प्रसाद दुबे

भावी बहू/ शीतल प्रसाद दुबे

adminSep 30, 20241 min read

गोरिया पातर धप-धप गोर । मुखवा चमके चाँद जोत जस, अखियाँ कमल किशोर,दतवा हवे अनार के दाना, लोगवा चाहेला बटोर ।गोरिया पातर……. । करीया केश, अधखुलल नयन, रस भरल ओठ, कोमल कपोल,सहम जाली डरल हरिणी जस, खींचे रसिक भरि जोर…

भारी भरम बा – देवेन्द्र कुमार राय

भारी भरम बा – देवेन्द्र कुमार राय

adminSep 24, 20241 min read

आगे जाईं कि पिछे लखात नइखे, चुपे रहीं कि बोली बुझात नइखे। जमते जमतुआ जुगजितना भइल, हमरा जोडी़ के केहू भेंटात नइखे। जे बइठल बा उहे घवाहिल भइल, चोट लगलो प हमरा दुखात नइखे। डेग जसहीं बढ़ाईंं थथम जाअइला, राय…

कविता - भोजपुरी मंथन - Page 11