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फगुनवाँ गउवाँ में आइल – जगदीश पंथी

फगुनवाँ गउवाँ में आइल – जगदीश पंथी

adminSep 26, 20241 min read

चइती फसिल गदराइल, फगुनवाँ गउवाँ में आइल,धरती पियरकी रंगाइल, फगुनवाँ गउवाँ में आइल। पेड़वा पुरनकी पतइया गिरावैनई-नई कलंगी से देहिया सजावैपछुआ बयरिया रसाइल, फगुनवाँ गउवाँ में आइल। ‘पिउ-पिउ’ पपिहरा कोइलिया के बोलीभउजी के आइल दुअरवा पर डोलीमुनियाँ के सुदिन धराइल,…

प्रयास / केशव मोहन पाण्डेय

प्रयास / केशव मोहन पाण्डेय

जिनगी जहर ना हऽहहरावेलेघहरावेलेतबोकहर ना हऽ।जिनगीराग हऽरंग हऽएह केअजब-गजब ढंग हऽई कई बेर बुझालेकि बिना बिआहे के बाजा हऽछन में फकीर हऽ ईछन मेंचक्रवर्ती राजा हऽ।ई तऽ सभे जानेलाकि पानी बही नातऽ गड़हा में ठहर केमर जाईबबुआसुतला से कुछ ना…

प्रदूषण क मार /डॉ राधेश्याम केसरी

प्रदूषण क मार /डॉ राधेश्याम केसरी

adminSep 26, 20242 min read

पेड़ कटाईल धुंआधार, धुँआ-धक्कड़ भइल अन्हार,जड़ में जहर घोलाइल जाता, सुतल मनई अब त जाग।माधो क माटी से ममता, माटी क उपजाऊ छमता,रसायन से ख़तम हो गइल, ख़त्म हो गइल आपन त्याग।कोलाहल धरती पर धावे, शोरगुल तनिको न भावे,अम्बर में तेजाब घुलल बा,…

प्रकाश चाहीं? प्रकाश बा कहाँ? – रवीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाश चाहीं? प्रकाश बा कहाँ? – रवीन्द्रनाथ टैगोर

adminSep 27, 20241 min read

प्रकाश चाही?प्रकाश बा कहाँ?दीया लेसे के होखेत विरहानल से लेस लऽबुताइल दीया राख के का होई?इहे लिखल रलऽ भाग में?एह से त मरन अच्छा!!आरे, जरा ल विरहानलविरह का आगी से नया जोत जागीबुताइल दीया बरे लागी।वेदना दूती गा रहल बिया-”आरे…

प्यारी (विलाप) / भिखारी ठाकुर

प्यारी (विलाप) / भिखारी ठाकुर

हाय हाय राजा कैसे कटिये सारी रतियाजबले ग‍इले राजा सुधियो ना लिहले, लिखिया ना भेजे पतिया ।। हाय हाय….हाय दिनवां बितेला सैयां बटिया जोहत तोर, तारा गिनत रतियाँ ।। हाय हाय…जब सुधि आवै सैयां तोरी सुरतिया बिहरत मोर छतिया ।।…

पोर-पोर घाव हो गइल/ रामेश्वर प्रसाद सिन्हा ‘पीयूष’

पोर-पोर घाव हो गइल/ रामेश्वर प्रसाद सिन्हा ‘पीयूष’

adminOct 4, 20241 min read

पोर पोर घाव हो गइल ।दर्द के पड़ाव हो गइल । माथा पर बइठल बा अनघा ले दनघर-घर में बाटे अब मौत के चलनजिन्दगी छलाव हो गइल ।पोर पोर घाव हो गइल । मसकिल बा काटल अब एक-एक पलनिकलल ना…

पुरवा सजोर……/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

पुरवा सजोर……/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

बहे लागे पुरवा सजोर,उड़े लागे अंचरवा के कोर. अमवा के गछिया लागे करूआइनपिपरा का पतिया से का बतिआई डोले लागेला डेहुँगी झकझोर,उड़े लागे अंचरवा के कोर. पासे पड़ोसीन मारे टिटकारीगँइआ के देवरा करे बटमारी पुरवइया टीसे पोरे-पोर,उड़े लागे अचरवा के…

पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप – संत…

पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप – संत…

गुलाल साहबSep 27, 20241 min read

पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप।मनुआ हमार विआहल हो ताही रे रूप।। ऊँच अटारी पिया छावल हो ताही रे रूप।मोतियन चउक पुरावल हो ताही रे रूप।। अगम धुनि बाजन बजावल हो ताही रे रूप।दुलहिन दुलहा मन भावल हो ताही…

कविता - भोजपुरी मंथन - Page 17