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ननदी रमल जाता…./ शम्भुनाथ उपाध्याय

ननदी रमल जाता…./ शम्भुनाथ उपाध्याय

adminOct 4, 20241 min read

सहमे महावरि निरेखि तोरे पउँ वाँननदी रमल जाता मनवा ए गउँवाँ । सोचत रहली ससुरा में रहिए ना जाईकइसे भुलइहे हमसे बाप माई-भाईअब त भुलाइ गइल नइहर के नउँवा । भइया तोहार बसि गइले नयनवाहवे भगवान उनकर धरीले धियानवाहमके प्रयाग…

नदी के किनारा/ सत्यनारायण सिंह

नदी के किनारा/ सत्यनारायण सिंह

adminSep 30, 20241 min read

जब जब डूबेला नदी के किनारापानी बहेला कि जइसे आवारा खोजले मिलेला ना जिनगी भुलाइलहरियर ना होखेला, फुलुंगी सुखाइलगरदिस में लौके ना जइसे सितारा जागेला लहरन के मन में पिरितियाज्ञानी परासर भी भूल जाला रितियापागल बना देला जइसे इशारा लागेला…

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धोखा / केशव मोहन पाण्डेय

बदलल जमानाबदलल ओझा-सोखा।मुँह में बाड़े रामबगल से मिले धोखा।। असरा के बदरा उड़ल बन के भुआपता लागल तब कि जिनगिया ह धुँआधधाले धीअरी तऽमन करे रोका।मुँह में बाड़े रामबगल से मिले धोखा।। लइकन के मीत-गीत सगरो भुलाइलनुन तेल लकड़ी के…

धुरंधर – कैलाश गौतम

धुरंधर – कैलाश गौतम

adminSep 26, 20241 min read

बहै फगुनहट उडै धुरंधरसोन किरवा अस मुड़ै धुरंधर। गांव गली बारी बॅसवारीडहरी डारी खेत कियारीनहर क पुलिया ताल किनारेडीह क चउरा नदिया नारेमन्दिर कबौ मदरसा झाकैउचक उचक पोखरा पर ताकैछिन महुआ छिन छिन गुलमोहरआज त ओकर दर्शन नोहरबस मे देह…

धुआँ भरल आसमान/ शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’

धुआँ भरल आसमान/ शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’

adminOct 1, 20241 min read

बा धुआँ से भरल आसमान ।साँस बा टँगाइल, परान बे परान! खोजत बसेर बिया, छोटकी चिरइया,फेड़ रूख लउके ना, धरती प’ भइया,जाई कहवाँ कि पाई धरान! संतति के चाल देखि, काँपि गइलि धरती,हरियर, हरियर रहे, होइ गइलि परती,दुनिया लागेला जइसे…

धर्माचरण/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

धर्माचरण/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

adminOct 4, 20241 min read

सिख मुसलमान जहाँ, इसाई हिन्दूवान जहाँ,रहत भी समान जहाँ, उहे बिहार ह5 | आदिवासी थारु जहाँ, उराँव संथारू जहाँ,चेरो खरवारू जहाँ, उहे बिहार हऽ । धार्मिक त्योहार जहाँ, उत्सव लोकाचार जहाँ,सौहार्द्र-व्यवहार जहाँ, उहे बिहार हऽ आपसी सद्भाव जहाँ, हेल-मेल भाव…

धनिया/ कनक किशोर 

धनिया/ कनक किशोर 

adminOct 1, 20241 min read

बड़ कहे कनिया आ हम कहीं धनियातनी धीरज धर ना, बहुरी हमनी के दिनवाँ तनी…। नाही माँग झूलनी, ना माँग तूहूँ कंगनामिली जूली रहे सभे आज एक अँगनादूरी ये बचाई जान भागी ई कोरोनाजरूरी बा मारक के चलनव, तनी धीरज…

धन-कटनी/ अमरेन्द्र जी

धन-कटनी/ अमरेन्द्र जी

adminSep 24, 20241 min read

खेतवा की आरी आरी,सुनरी सुग्घरी नारी,पीयरि पहिरी सारी,छमके छमकि छमक।हँसुआ से काटि धान,गावेली मधुर गान,कर के कंगन दूनो,खनके खनकि खनक।। लामे लामे पारि धरे लामे पलिहारि धरे,गुर्ही करे बोझा बान्हे,धनिया चमकि चमक।पुरुआ बयार बहे,रूपगर नार लागे,गते से गुजर जाये,रहिया छनकि छनक।। पिया खरिहानी करी,आँटी…

कविता - भोजपुरी मंथन - Page 20