रहलीं करत दूध के कुल्लाछिल के खात रहीं रसगुल्लासखी हम त खुल्लम खुल्ला, झूला झूलत रहीं बुनिया फुहार मेंसावन के बहार में ना हम त रहलीं टह-टह गोरकरत रहलीं हम अँजोरमोर अँखिया के कोर, धार कहाँ अइसन तेग भा कटार…
हर साल में महज एक बार आवेला रमजान!संगे सनेश भाईचारा के ले आवेला रमजान! मिटावेला इ ह्रदय से सगरी क्रोध-किना-कपट के,जिनगी सादगी से जिए के सिखावेला रमजान! बरखा हरदम पुण्य के होला ये पवित्र महिना में,सुख-समृधि के सबके घर भेजवावेला…
करऽ तारऽ हमरा से, जतना तूं प्यार हो,रामजी से करि ल पिया, होइहें उद्धार हो । माटी के देहिया ई एक दिन बिलाई ।भाई-बंधु, बेटा-बेटी कामे ना आई।हमहूँ ना आइब काम, करी ल विचार हो,करऽ तारऽ हमरा से, जतना तूं…
झूठ आँखि के सोझ जे, साँचा जवन अदीख।अखनी के रजनीति में, दरसन के ई सीख। वादा कइके छाड़ि दऽ, मान न नीति अनीति।ना बैरी हित केहुओ, एखनि के रजनीति। धोती खोलऽ तू हमर, अवरी हमूँ तहार।एही गोटी दुइजना, खेलीं जुगवासार। ठगवा के चेला…
आवत आटे सावन शुरू होई नहवावनभोला जाड़े में असाढ़े से परल बाड़ें एगो लांगा लेखा देह, रखें राखी में लपेटलोग धो-धा के उघारे पे परल बाड़ेंभोला जाड़े में… ओने बरखा के मारे, गंगा मारे धारे-धारेजटा पावें ना सँभारे, होत जले…
हथियाऽ के मुँह लेके, मानुस के तनवाऽ,रउरा आई ना जी,रिधी – सिधी के सजनवाऽ……… बाबूजी के संगे लेले आई अपना माई के,शुभ-लाभ सुघर ललना दूनो भाई के,मंगल के दाताऽ, लेके मुस के वाहनवाऽ…. हम नइखीं कहत, वेद-शास्त्र मये कहेलाऽ,जाहाँ रउरा…
पाँच तत्त्व की बनी चुनरिया,सोरह से बन्द लागे जिया ।। 1।। यह चुनरी मैके से आई,ससुरे में मनुवा खोय दिया । । 21। मलि-मलि धोई दाग न छूटै,ज्ञान का साबुन लाय पिया ||3|| कहैं कबीर दाग तब छुटिहैं,जब साहेब अपनाय…
मोछ ना रही तs के चिन्ही,नर हवा की मादा। मोछिया रही तs सभे चिन्ही,मादा ना हवा मर्द हवा। बाप पितिया अभी जिन्दा बा,बबुआ मोछिया छिलत बा। मोछिया तs मरदन के शान हs,इहे तs पुरनिया के पहचान हs। सालों-साल ई परम्परा…