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संस्कार/ तारकेश्वर राय ‘तारक’

संस्कार/ तारकेश्वर राय ‘तारक’

adminSep 26, 20242 min read

सावित्री भउजी बड़ी खुश बाड़ी। आखिर खुश काहें ना रहीहन? आजु उनकर छोटकी ननद के बियाह ह। बियाह बनारस के होटल से होता। एहिजा चूल्हा-चउका से छुट्टी त बड़ले बा, कुछउ करहूँ के नइखे। खलिहे सज-सँवर के, गलचउरन क के…

लोक जीवन में राम जी के आस्था – जनकदेव…

लोक जीवन में राम जी के आस्था – जनकदेव…

adminSep 26, 20244 min read

“जय रामजी के भाई,” सामने से आवत बुधन के देख के लोटन प्रनाम कइलें आ पूछलें, “का हाल बा ?” “राम राम भाई। सब रामजी के दया बाटे। तू बताव आपन हालचाल। कइसन बाड़अ?” लोटन प्रनाम के जवाब देत पूछलें।…

रजनीति/ दिनेश पाण्डेय

रजनीति/ दिनेश पाण्डेय

adminSep 24, 20241 min read

झूठ आँखि के सोझ जे, साँचा जवन अदीख।अखनी के रजनीति में, दरसन के ई सीख। वादा कइके छाड़ि दऽ, मान न नीति अनीति।ना बैरी हित केहुओ, एखनि के रजनीति। धोती खोलऽ तू हमर, अवरी हमूँ तहार।एही गोटी दुइजना, खेलीं जुगवासार। ठगवा के चेला…

मुकरनी/ दिनेश पाण्डेय

मुकरनी/ दिनेश पाण्डेय

adminSep 24, 20241 min read

परले गोड़ हजार बे, पूरल जिय अरमान।थरिया पलटसि पाइ के, सखि पिय ना जनमान। बात करेजा के छुवल, दुनिया लागे बाध।हित-मित मुदई करि गइल, पियवा ना सखि साध। अपने चाभस सात रस, हम धाँसीं मँड़गील।कहईं के ना छोड़ले, सखि पिय ना ओकील। adminbhojpurimanthan.com/

मछरी – दिलीप कुमार पाण्डेय

मछरी – दिलीप कुमार पाण्डेय

adminSep 26, 20244 min read

देवाली आवते सन ८८ ई.के घटना मन परेला। बी.एस.सी के दुसरका साल रहे ठीक दिवाली का एक दिन पहिले सत्या भाई नित्या भाई बबलू आ ढुनमुन का संगे हमहू पोखरी कीओर चल देहनी। गांव में जवन घरारी बा उ कादू…

जीव के हत्या/ तारकेश्वर राय ‘तारक’

जीव के हत्या/ तारकेश्वर राय ‘तारक’

adminSep 26, 20242 min read

हमरा गाँव के दखिन सिवान के महंगू अहीर के डेरा के २० लठ्ठा दूर एगो बाबाजी लोग के गाँव बा महुवारी । ओह गाँव में बड़ा धार्मिक बिचार के लोग रहेला । जीव हत्या के जघन्य पाप समझेला ई गाँव…

जनावर – जनकदेव जनक

जनावर – जनकदेव जनक

adminSep 26, 202415 min read

अंडा बेचे वाली मनोरमा पहिले अंडा ना बेचत रही. उ एगो घरेलू महिला रही, जे अपना मरद भूलन आ बेटी आरती के साथे खूब बढ़िया से आत्मसम्मान के जिनिगी जीअत रही. बाकिर उनका शांत जीवन मे कोल माफिया कल्लुआ कवनों…

चइत दुआरे ठाढ़ – दिनेश पाण्डेय

चइत दुआरे ठाढ़ – दिनेश पाण्डेय

adminSep 26, 20241 min read

फगुआ के अनवाध में, चइत दुआरे ठाढ़।ललकी किरिन परात के, तकलसि घूघा काढ़। मादक महुआ गंध में, डूबल बनी समूल।हवा कटखनी बिन रहल, मउनी भरि-भरि फूल। चइता के धुन अस चढ़ल, भइल असंभो बात।लँवडा संग जटेसरो, नचले सारी रात। adminbhojpurimanthan.com/

दिनेश पाण्डेय - भोजपुरी मंथन