अमृत नीक कहै सब कोई/ धरनीदास

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अमृत नीक कहै सब कोई/ धरनीदास

अमृत नीक कहै सब कोई, पीय बिना अमर नहिं होई।

कोई कहै अमृत बसै पताल, नर्क अंत नित ग्रासै काल।
कोई कहै अमृत समुंदर माहिं, बड़वाअगिन क्यों सोखत ताहिं।

कोई कहै अमृत ससि में बास, घटै बढ़ै क्यों होइहै नास।
कोई कहै अमृत सुरगां मांहि देव पिवैं क्यों खिर खिर जाहिं।

सब अमृत बातों का बात, अमृत हे संतन के साथ।
दरिया अमृत नाम अनंत, जाको पी पी अमर भये संत।

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अमृत नीक कहै सब कोई/ धरनीदास - भोजपुरी मंथन