उल्लू राते में जागेला/ रघुनाथ सिंह विशारद

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उल्लू राते में जागेला/ रघुनाथ सिंह विशारद

उल्लू राते में जागेला दिन में सो जाला,
कोहार के आवा में नादो खो जाला,
मानी चाहे मत मानी, इ-त कुदरत के खेला है,
इ ठीक- इ प्रेम कइल ना जाला हो जाला ।

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उल्लू राते में जागेला/ रघुनाथ सिंह विशारद - भोजपुरी मंथन