गुरु सुमीरन/ डॉ गोपाल ठाकुर

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गुरु सुमीरन/ डॉ गोपाल ठाकुर

सुमिरन कर ले गुरुजन के
निरमल कर ले निज मन के

हटल अऩरिआ हिरदय से
किरिन फुटवलें सिखवन के

कहत करत जे भर जिनगी
तन अइसन जे गुरुजन
के

करम पुजन के पथ चलके
सुमिरत चल ओ गुरुजन के

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गुरु सुमीरन/ डॉ गोपाल ठाकुर - भोजपुरी मंथन