दरसन बिना छछनत लोचनवा/ स्व रामजी सिंह (मुखिया)
दरसन बिना छछनत लोचनवा,
मोहले बा मन मोहन मधुरी मुसकनवा | दरसन बिना..
देखि के तोहार रूप, छाती भइल भरि सूप,
इहे मन करेला बतिअइतीं अंगनवा | दरसन बिना…
प्रीति कइल कुबजा से, गड़हा में डूब जाके,
पढ़ल गुनल होके निपटे नादानावा | दरसन बिना…
मुरली अधर पर, खाड़ बा कदम तर,
बिसरत नइखे तहार बँसुरी के तनवा | दरसन बिना…
गइयाँ के ग्वाल-बाल, ब्याकुल, बेकल, बेहाल,
तेज तलवार लेखा तहरो चितवनवा | दरसन बिना…
रामजी तहार दास, कबले लगइहन आस,
मिलला पर चितचोर चूमतीं चरनवा | दरसन बिना…